मोहम्मद आजम
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
राष्ट्रीय सेवा योजना, सेण्ट ऐण्ड्रयूज कॉलेज, गोरखपुर तथा सिफ्सा के संयुक्त तत्वाधान में संचालित यूथ फ्रेंडली सेंटर द्वारा नौवीं एक दिवसीय मानसिक स्वास्थ्य संवेदीकरण कार्यशाला में मुख्य ट्रेनर के रूप में पधारे नैदानिक मनोवैज्ञानिक (क्लिनिकल सायकोलाजिस्ट) श्री रमेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि आज के युवा मोबाइल एडिक्शन के शिकार है। आज मोबाइल का उपयोग आवश्यक है। हमें यह तय करना है कि हम मोबाइल का उपयोग कर रहे है या मोबाइल हमारा उपयोग कर रहा है। उन्होेने कहा कि ज्यादातर युवा मोबाइल पर सेक्सुअल कंटेन्ट देखकर बिगड़ रहे है। पार्नोग्राफी वेबसाइट पर पाबन्दी तो लगायी जा रही है किन्तु बहुत सारे एैप इन कन्टेन्टस को परोस रहे है। उन्होने ओ0सी0डी0, डिप्रेशन, चिन्ता, उलझन तथा स्किजोफ्रेनिया आदि के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित लोगों के साथ आप दया न दिखा के संवेदनात्मक व्यवहार करें।
ट्रेनर डाॅ0 सुनीता पॉटर ने प्रारंभ में स्वागत करते हुए प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को कार्यशाला के उद्देश्य बताए। सुश्री श्वेता जानसन ने भौतिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य को परिभाषित करते हुए कहा कि आप अपनी समस्याओं को जरूर बताये। मन के अन्दर रखने से आप मानसिक बिमारियों से ग्रस्त हो सकते है। डाॅ0 जे0के0 पाण्डेय ने समाज में फैले हुए मानसिक स्वास्थ्य संबंधी भ्रांतियों के बारे में बताया। कार्यक्रम का संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ0 जे0 के0 पांडेय ने किया ।
इस कार्यशाला में राष्ट्रीय सेवा योजना के कुल 50 स्वयंसेवकों की प्रतिभागिता रही।
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