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सालों वेतन का किया इंतजार, अब नौकरी छोड़ने को हुए मजबूर।

-मदरसा आधुनिकीकरण योजना 

-करीब163 मदरसों में कार्यरत हैं 489 शिक्षक।

-धरना, प्रदर्शन व आंदोलन के बावजूद अभी तक इनकी बात किसी ने नहीं सुनी।

सैय्यद फरहान अहमद

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

वर्ष 2017 से केंद्र सरकार द्वारा वेतन नहीं दिए जाने के कारण मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक नौकरी छोड़ने को मजबूर हैं। केंद्र पुरोनिधानित मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत प्रदेश के मदरसों मेें विज्ञान, गणित, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षकों को  वेतन का बड़ा हिस्सा नहीं मिल रहा है। फिलहाल प्रदेश सरकार अपना अंशदान दे रही है लेकिन केंद्र के अंशदान न मिलने से आर्थिक दिक्कतों से जूझ रहे शिक्षक कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं और नौकरी छोड़ने को मजबूर है। कई बार धरना-प्रदर्शन व आंदोलन के बावजूद अभी तक इनकी बात किसी ने नहीं सुनी। अब ये शिक्षक मजबूर होकर त्यागपत्र देने को विवश हो गए हैं।

ताजा मामला मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार का है। जहां के मोहम्मद आजम ने करीब 28 साल बतौर मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक के तौर पर काम किया और पिछले महीने मजबूर होकर त्यागपत्र दे दिया। इन्हें वर्ष 2017 से केंद्र सरकार द्वारा दिया जाने वाला वेतन नहीं मिला है। मजबूरन नौकरी छोड़ने वालों की तादाद बढ़ रही है। 

त्यागपत्र देने वाले मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक मोहम्मद आजम ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना जब से शुरू हुई है तब से लेकर अब तक सरकार माहवार वेतन देने की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं कर सकी है। जिले में 163 के करीब मदरसे आधुनिकीकरण योजना से जुड़े हुए है। जिसके तहत जिले के करीब 489 शिक्षक आधुनिक विषयों की शिक्षा दे रहे है। प्रत्येक मदरसे में तीन शिक्षकों को केंद्र सरकार की तरफ से वेतन मिलता है। प्रशिक्षित शिक्षकों को केंद्रांश के तौर पर 12 हजार व राज्यांश के तौर पर तीन हजार रुपये मिलते हैं। परंतु वर्ष 2017 केंद्रांश के तौर पर मिलने वाली 12 हजार की धनराशि नहीं मिल रही है। इसको लेकर कई बार आंदोलन भी हो चुका है। सभी शिक्षकों की माली हालत खराब हो चुकी है। कई शिक्षकों की तो आकस्मिक मृत्यु भी हो चुकी है। मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों की स्थिति बद से बदतर है। मजबूरन नौकरी छोड़नी पड़ रही है। केंद्र सरकार ने मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार किया है। सबका साथ, सबका विकास व सबका विश्वास का नारा खोखला है। सरकार का मदरसों को आधुनिक बनाने का दावा हवा हवाई है। जो सरकार मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को वेतन नहीं दे रही है वह सुविधाएं कैसे मुहैया कराएगी।

मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक नवेद आलम, सैयद महताब अनवर, आसिफ महमूद आदि ने बताया कि सरकार कई बार मदरसों का सर्वे व जांच करवा चुकी है लेकिन उसके बावजूद भी केंद्र सरकार की ओर से वेतन नहीं मिल रहा है। वर्षों की नौकरी के बाद सरकार की उपेक्षा से टूट चुके हैं। अब कोई और काम करने की हिम्मत नहीं बची। सरकार को हम पर रहम करना चाहिए। राज्य सरकार से मिलने वाले अंशदान से घर नहीं चल सकता।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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