Tranding

कर्बला की शहादत से त्याग बलिदान, इंसानियत की मिलती है प्रेरणा:-सुरैया सहाब

शहाबुद्दीन अहमद

बेतिया, बिहार

मोहर्रम का महीना इस्लामिक कैलेंडर का साल का पहला महीना होता है।यह बहुत ही बरकत का महीना है,रमजान के पवित्र महीने के बाद इसी का नंबर आता है। इस महीने में मोहम्मद साहब के नवाज से हजरत इमाम हुसैन की शहादत इराक के शहर कर्बला में हुई थी इस दौर का बादशाह यजीद था,जो बहुत ही जालिम बादशाह था। इसके अंदर सारी बुराइयां निहित थी,और पूरे इस्लामिक देश का राजा बन बैठा था, उसने अपने आप को बादशाह और खलीफा घोषित कर दिया। मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन ने इसका विरोध किया यह जिसका कहना था कि हजरत इमाम हुसैन को मैं खलीफा करने के लिए तैयार नहीं हूं उसने हजरत इमाम हुसैन को खलीफा करने के लिए धोखे से बुलाया हजरत हुसैन अपने परिवार और कुछ साथियों के साथ इराक के शहर कर्बला पहुंचे, जिनकी संख्या 73 थी।

मौसम की नवमी तारीख को यजीद ने दरिया का पानी पीने से रोक दिया,सबों के लिए पानी बंद कर दिया,इसमें 6 माह के अलीअसगर भी शामिल थे।

दसवीं मोहर्रम को नमाज पढ़ने के दौरान यजीदी सेना ने उनके शरीर को तीर से मार कर छलनी कर दिया। इसके लिए जबरदस्त जंग हुई, इस जंग में मोहम्मद साहब के दोनों नवासे को मौत का मजा चिखना पड़ा। मोहम्मद साहब को देना नवासे ने यजीद को नहीं स्वीकार की,उसके सामने सर नहीं झूकाया,जंग में लड़ते-लड़ते शहीद हो गए।

इस घटना से यह सबक मिलता है कि झूठ,चोरी, दगाबाजी,भ्रष्टाचार के सामने झुकना नहीं है,बल्कि उससे मुकाबले करके सत्य की जीत दिलानी है। मोहर्रम का यह पर्व सुख,शांति,सद्भावना, आपसी प्रेम, त्याग, बलिदान इंसानियत का सबक सिखाती है।

Karunakar Ram Tripathi
5

Leave a comment

Most Read

Advertisement

Newsletter

Subscribe to get our latest News
Follow Us
Flickr Photos

© Copyright All rights reserved by India Khabar 2025