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महान स्वतंत्रता सेनानी,शेख गुलाब की स्मृति में,गुलाब मेमोरियल कॉलेज का चिराग बुझने की ओरअग्रसर।

शहाबुद्दीन अहमद

बेतिया, पश्चिमी चंपारण, बिहार।

स्थानीय नगर थाना क्षेत्र में अवस्थित,गुलाब मेमोरियल कॉलेज अपने स्थापना के दिनों को याद करते हुए जिसमे विभिन्न प्रकार के कठिनाइयों का सामना के साथ,अंग्रेज अधिकारियों की आंखों में आंखें डालकर मुंहतोड़ जवाब देने वाले गुलामी के अँधेरे में आज़ादी का चिराग जलाने वाले मुजाहिद,चंपारण में नील की खेती में श्रमिकों के उत्पीड़न के खिलाफ चंपारण सत्याग्रह में महात्मा गांधी के साथ नेतृत्व करने वाले मुजाहिदीनेआजादी, शेख गुलाब का स्मारक,गुलाब मेमोरियल कॉलेज,जो उत्तर बिहार की एक प्रमुख अल्पसंख्यक संस्था,इस जिला की ऐतिहासिक भूमि के एक क्रांतिकारी व्यक्ति,मुजाहिदे आज़ादी,शेख गुलाब के नाम पर वर्ष1983 में इसकी स्थापना की गई,जो शैक्षिक क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ यादगार उपलब्धि हासिल की। अपनी स्थापना के दिन से ही बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड के परिणाम के मामले में,यह बिहार में इकलौता रहा है,जिसने शैक्षिक सेवाओं के दम पर बिहार में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। हर साल इस संस्था के हजारों छात्र-छात्राएं उत्कृष्ट शिक्षा से लैस होकर विभिन्न विभागों में प्रवेश लेकर अपना भविष्य संवारते हैं।इस महाविद्यालय में अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र छात्रों को शिक्षा प्राप्त करना बहुत हीआसान था, लेकिनअफ़सोस की बात यह है कि इतनी बड़ी संस्था का चिराग अब बुझने कीओर अग्रसर है। इस संबंध में,संवाददाता ने स्थानीय मोहल्ले वासियों,बेतियावासियों, शिक्षा प्रेमियों,छात्र-छात्राओं के माता पिता से संपर्क करने पर उन लोगों ने अपना अफसोस जाहिर करते हुए यह बताया है कि अब इस संस्था के चिराग को बुझते हुए देखकरअल्पसंख्यक वर्ग के लोगों में काफी रोष व्याप्त है,साथ ही इस शहर के जिम्मेदार, गणमान्य व्यक्ति इस महाविद्यालय के लिए यह कहने पर मजबूर हैं कीअपने इतिहास को भूल जाना इंसानियत को भूल जाने के बराबर है। इस शहर के वासियों का बिहार सरकार से अनुरोध है कि इस महाविद्यालय के छात्र छात्राओं को भविष्य को देखते हुए बेहतर शिक्षा की व्यवस्था की जाए,साथ ही साथ इस अल्पसंख्यक संस्थान के चिराग को बुझने से बचाया जाए,बिहार सरकार इसअल्पसंख्यक महाविद्यालय में नामांकित सभी छात्र-छात्राओं के भविष्य को सुरक्षा दी जाए,साथ ही इनके उज्जवल भविष्य की कामना की जाए।

Karunakar Ram Tripathi
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