गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर के कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने बताया कि रमज़ान शरीफ में अल्लाह ने बंदों की रहनुमाई के लिए अपनी पाक किताब कुरआन शरीफ उतारी। इस महीने मे नफ्ल नमाज अदा करने पर अल्लाह फर्ज नमाज अदा करने के बराबर सवाब और फर्ज नमाज अदा करने पर सत्तर फर्ज नमाजों के बराबर सवाब अता करता है। इस माह कसरत से जकात, सदका व फित्रा निकालना चाहिए ताकि गरीब, यतीम बेसहारा सभी रमज़ान शरीफ व ईद की खुशियों में शामिल हों सकें। अगर किसी शख्स ने एक रोजादार को इफ्तार कराया तो उस शख्स को भी उस रोजादार के बराबर सवाब मिलेगा। भले ही उसने एक घूंट पानी से ही रोजादार का रोजा खोलवाया हो। रोजादार के लिए दरिया की मछलियां दुआएं करती हैं। रोजादार के मुंह की बदबू अल्लाह को मुश्क से ज्यादा पसंद हैं। रोजादार जन्नत में एक खास दरवाजे से दाखिल होगा।
बेलाल मस्जिद अलहदादपुर मस्जिद के इमाम कारी शराफत हुसैन क़ादरी ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम के सबसे पाक माह रमज़ान की शुरुआत चांद के दीदार के साथ होती है। रमज़ान शरीफ का महीना दीन-ए-इस्लाम में खास अहमियत रखता है। इस माह में दीन-ए-इस्लाम के मानने वाले लोग पूरा महीना रोजा रखते हैं। अल्लाह की इबादत करते हैं। इस पाक महीने मे रोजा रखने वाले रोजादार सुबह सादिक से पहले तक सहरी करके रोजा की नीयत करके रोजा रखने की शुरूआत करते है। शाम को सूरज छिपने के बाद इफ्तार करते हैं।
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