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इफ्तार के समय दुआ जरूर कबूल होती है - मौलाना अली अहमद

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर के इमाम मौलाना अली अहमद ने बताया कि इफ्तार के समय की दुआ कबूल होती है। रोजादार कितना खुश नसीब होता है कि हर समय अल्लाह की रज़ा हासिल करता रहता है। यहां तक कि जब इफ्तार का समय आता है तो उस समय वह जो कुछ भी दुआ मांगता है अल्लाह उसे अपने फज्लो करम से कबूल फरमाता है। पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम खजूर से रोजा इफ्तार फरमाते। तर खजूरें न होती तो चंद खुश्क खजूरों यानी छुहारों से और अगर यह भी न होती तो चन्द चुल्लू पानी पीते। पैग़ंबरे इस्लाम ने फरमाया कि जिसने हलाल खाने या पीने से किसी मुसलमान को रोजा इफ्तार कराया, फरिश्ते माह-ए-रमजान में उसके लिए अस्तगफार करते है। पैग़ंबरे इस्लाम ने इरशाद फरमाया कि तीन शख्सों की दुआ रद्द नहीं होती। एक रोजेदार की इफ्तार के समय। दूसरी बादशाहे आदिल की। तीसरे मजलूम की। इन तीनों की दुआ अल्लाह बादलों से भी ऊपर उठा लेता है, और आसमान के दरवाजे उसके लिए खुल जाते है। अल्लाह फरमाता है मुझे मेरी इज्जत की कसम! मैं तेरी जरूर मदद फरमाऊंगा। 

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Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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