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जरूरत पड़ने पर रोज़ेदार खून दे सकता है - उलमा किराम

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश। 

तंजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्प लाइन नंबरों पर सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। उलमा किराम ने क़ुरआन व हदीस की रोशनी में जवाब दिया।

1. सवाल : प्रोविडेंट फंड पर जकात है या नहीं? (जफर, बड़े काजीपुर)

जवाब : हां। अगर यह रकम निसाब को पहुंच जाए तो साल बसाल जकात अदा करनी पड़ेगी। (मुफ्ती मेराज)

2. सवाल : रोजे की हालत में खून देना कैसा? (अब्दुल समद, तुर्कमानपुर)

जवाब : सख्त मजबूरी में जबकि जान का खतरा हो रोज़े की हालत में भी खून देना जायज है, मगर इतना खून देना जिससे कमज़ोरी महसूस हो मकरूह है। (मुफ्ती अख़्तर)

3. सवाल : रोजे की हालत में आंख में दवा डालना कैसा? (निशात, बुलाकीपुर)

जवाब : रोजे की हालत में आंख में दवा डालना जायज है, इससे रोजा नहीं टूटेगा, अगरचे उसका जायका हलक में महसूस हो। (मुफ्ती अजहर)

4. सवाल : रोजे की हालत में जख्म पर मरहम या दवा लगा सकते हैं? (नदीम, सूरजकुण्ड)

जवाब : हां। लगा सकते हैं। (कारी अनस)

5. सवाल : इंजेक्शन के ज़रिए खून निकाला या चढ़ाया गया तो वुजू टूट जाएगा? (मेहताब, खूनीपुर)

जवाब : हां। वुजू टूट जाएगा। (मौलाना मोहम्मद अहमद)

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Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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