गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
रमज़ान शरीफ का चौथा रोजा भी रजा-ए-इलाही में बीता। लोगों ने जमकर इबादत की। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हो रही है। नफ्ल नमाज सलातुल तस्बीह, चाश्त, तहज्जुद, इशराक, सलातुल अव्वाबीन आदि पढ़ी जा रही है। नबी व आले नबी पर दरूदो-सलाम का नज़राना पेश किया जा रहा है। सुबह सहरी के लिए मस्जिद से रोजेदारों को जगाने के लिए आवाज दी जा रही है। इफ्तार के समय मस्जिद से रोजा खोलने का डंका बज रहा है। मस्जिद की सफें नौजवानों, बुजुर्गों व बच्चों से भरी नज़र आ रही हैं। घरों में महिलाएं इबादत के साथ किचन व बाजार से खरीदारी की जिम्मेदारियां उठा रही हैं। हर तरफ रमजान का फैजान है। रसूलपुर जामा मस्जिद मेें एक महीने का सामूहिक एतिकाफ जारी है। शहर की दस मस्जिदों में रमज़ान के विशेष दर्स के दौरान दीनी बातें सीखी व सिखाई जा रही है। मुकीम शाह जामा मस्जिद बुलाकीपुर में तरावीह नमाज पढ़ा रहे हाफिज गुलाम जीलानी ने बताया कि माह-ए-रमज़ान में सदका-ए-फित्र निकाला जाता है। जो गरीबों, यतीमों व बेसहारा मुसलमानों को दिया जाता है। इसको निकालने में जल्दी करें ताकि गरीब भी खुशियों में शामिल हो सकें। जितनी जल्दी आप सदका-ए-फित्र निकालेंगे उतना जल्दी ही वह गरीबों के लिए फायदामंद होगा।
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