गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
बुधवार को 14 घंटा 05 मिनट का तेरहवां रोजा रखकर मुस्लिम समुदाय ने जमकर इबादत की। मुकद्दस रमज़ान का दूसरा अशरा मगफिरत यानी गुनाहों से माफी का चल रहा है। इबादत व तिलावत का सिलसिला जारी है। रोजेदार अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए दिन में रोजा रख रहे हैं और रात में तरावीह की नमाज पढ़ रहे हैं। नूरानी मस्जिद हुमायूंपुर में हाफिज मो. अशरफ ने तरावीह नमाज में एक कुरआन-ए-पाक मुकम्मल किया।
मस्जिद दारोगा अफगानहाता के इमाम मौलाना फिरोज आलम ने कहा कि इसी मुबारक महीने की एक रात में क़यामत तक आने वाले तमाम इंसानों की रहनुमाई के लिए अल्लाह की किताब क़ुरआन आसमान से दुनिया पर उतारी गई। जिससे फायदा हासिल करने की बुनियादी शर्त परहेजगारी है। अल्लाह का इरशाद है ‘‘यह किताब ऐसी है कि इसमें कोई शक नहीं, हिदायत है परहेज़गारों के लिए मतलब अल्लाह से डरने वालों के लिए”। दूसरी तरफ अल्लाह ने क़ुरआन में रोज़ों को फर्ज किए जाने का मक़सद बताते हुए फरमाया ‘‘यानी तुम पर रोजे फर्ज़ किए गए ताकि तुम परहेज़गार बन जाओ” इस मुबारक महीने में एक ऐसी रात है जिसे शबे कद्र कहते हैं जिसमें इबादत करना हज़ार महीनों की इबादत से अफज़ल है। यह महीना अल्लाह की इबादत, इताअत और लोगों के साथ हमदर्दी व गमगुसारी और क़ुरआन का महीना है।
गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने कहा कि रमज़ान का महीना इस्लामी कैलेंडर का नवां महीना है। इस महीने में रोज़े रखना हर मुसलमान बालिग, आक़िल, सेहतमंद, मुक़ीम, मर्द और औरत पर फ़र्ज़ है। जिसकी अदाएगी के ज़रिए नफ्स पर कंट्रोल होता है।
नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर के इमाम मौलाना मो. असलम रजवी ने कहा कि अल्लाह ने हर अमल का दुनिया में ही बदला बता दिया कि किस अमल पर क्या मिलेगा मगर रोज़ा के बारे में इरशाद फरमाया कि मैं खुद ही इसका बदला दूंगा या फरमाया कि मैं खुद ही रोज़ा का बदला (जज़ा) हूं।
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