तरावीह में कुरआन का दौर मुकम्मल होने पर दुआइया कार्यक्रम का आयोजन।
ब्यूरो चीफ़ हफ़ीज अहमद खान
कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश।
आज का दौर फित्नों का दौर है, दीन की सही बात या दीन के नाम पर अलग से जोड़ी गई बातो के बीच फर्क़ करना आम अवाम के लिये मुश्किल है। ऐसे हालात में हमारे लिये ज़रूरी है कि हम दीन की बुनियादी मालूमात हासिल करें। इन विचारों को जमीयत उलेमा उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष मौलाना अमीनुल हक़ अब्दुल्लाह क़ासमी ने अशरफाबाद, गज्जूपुरवा, मक्कू शहीद का भट्ठा, पुरानी चुंगी, सरैयां और के.डी.ए. जाजमऊ में तरावीह में कुरआन को दौर मुकम्मल हाने के अवसर पर आयोजित दुआइया कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अक़ीदा दुरुस्त करने पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है। मौलाना ने कहा कि अमल में कोताही पर अल्लाह की रहमत से माफी की उम्मीद की जा सकती है लेकिन अगर अक़ीदे में किसी तरह का बिगाड़ पैदा हो गया तो अल्लाह के यहां इसकी माफी नहीं है, अक़ीदा ख़राब हो गया तो अमल की कोई हैसियत नहीं है। मौलाना ने कहा इतना दीन सीखना जिससे से सही मुसलमान रह सके, यह फर्ज़ ऐन है। हम सबको दीन की बुनियादी मालूमात हासिल करने और दीन सीखने की कोशिश करनी चाहिए।
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