गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
रजा मस्जिद जाफरा बाजार में तरावीह नमाज के इमाम हाफिज मो. मुजम्मिल रजा ने बताया कि कुरआन में सिर्फ रमज़ान शरीफ ही का नाम लिया गया और इसी के फजाइल बयान हुए हैं। रमज़ान में पांच इबादत खुसूसी होती है रोजा, तरावीह, तिलावते कुरआन, एतिकाफ और शबे कद्र में जागकर इबादत करना। तो जो कोई सच्चे दिल से ये पांच इबादत करे वह अल्लाह का इनाम पाने का हकदार हो जाता है। रमज़ानुल मुबारक के स्वागत के लिए सारे साल जन्नत को सजाया जाता है। कुछ उलमा किराम फरमाते हैं कि जो रमज़ान में मर जाए उससे सवालाते कब्र भी नहीं होता। रमज़ान में शैतान कैद कर दिया जाता है और दोजख के दरवाजे बंद हो जाते हैं। जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। इसी लिए रमज़ान के दिनों में नेकियों की अधिकता और गुनाहों की कमी होती है। रमज़ान में खाने पीने का हिसाब नहीं है। हमें चाहिए कि हम रमज़ान में नेक काम करें और गुनाहों से बचें। गरीबों, मोहताजों की मदद करें।
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