गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
रोजेदारों ने जमकर इबादत की। 17वां रोजा मुकम्मल हो गया। मुकद्दस रमज़ान की रौनक बढ़ती ही चली जा रही है। रमज़ान का पुरकैफ समा चारों ओर है। मस्जिद व घरों में इबादत और कुरआन-ए-पाक की तिलावत हो रही है। दूसरा अशरा खत्म होने के करीब है। वहीं रमज़ान का तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का बहुत महत्वपूर्ण है। अंतिम दस दिन की पांच रात यानी 21, 23, 25, 27 व 29 रमज़ान की रात में से एक शबे कद्र की रात है। जिसमें इबादत का सवाब हजार महीनों की इबादत के सवाब से अफजल है। शबे कद्र में ही कुरआन-ए-पाक नाजिल हुआ। अंतिम दस दिन का एतिकाफ करना पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत है। बाजार पर ईद की खुमारी का रंग चढ़ गया है।
मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर में कारी अफजल बरकाती, सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह में हाफिज मो. सैफ ने तरावीह नमाज के दौरान एक कुरआन-ए-पाक मुकम्मल किया।
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