गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
नायब काजी मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने बताया कि रमज़ानुल मुबारक के आखिरी अशरा का एतिकाफ सुन्नते मुअक्कदा अलल किफाया है यानी मोहल्ले की मस्जिद में किसी एक ने कर लिया तो सबकी तरफ से अदा हो गया और अगर किसी एक ने भी न किया तो सभी गुनाहगार हुए। महिलाएं घर में एतिकाफ कर सकती हैं। वह घर का कोई एक हिस्सा निर्धारित कर लें और वहीं एतिकाफ करें। कोई खास मजबूरी न हो तो माह-ए-रमज़ान के आखिरी अशरा के एतिकाफ की सआदत हरगिज नहीं छोड़नी चाहिए। कम अज कम ज़िन्दगी में एक बार तो हर इस्लामी भाई को रमज़ान के आखिरी अशरा का एतिकाफ करना ही चाहिए। हदीस में है कि एतिकाफ करने वाले को हज व उमरा का सवाब मिलता है। पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शख्स रमज़ान के आखिरी दस दिनों में सच्चे दिल के साथ एतिकाफ करेगा। अल्लाह उसके नाम-ए-आमाल में हजार साल की इबादत दर्ज फरमाएगा और कयामत के दिन उसको अपने अर्श के साये में जगह देगा। बुधवार 12 अप्रैल की शाम से एतिकाफ शुरु होगा।
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