गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में यौमे फतह मक्का के मौके पर सामूहिक कुरआन ख्वानी व दुआ ख्वानी की गई।
मस्जिद के इमाम मौलाना महमूद रजा कादरी ने तकरीर करते हुए कहा कि फतह मक्का एक शानदार फतह थी। जो रमज़ानुल मुबारक की 20 तारीख को हुई। यह एक ऐसी फतह थी कि जिसमें कोई मारा नहीं गया। बल्कि सही मायने में सबको बेहतरीन ज़िंदगी मिली। पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फतह मक्का से लोगों का दिल जीत लिया। सभी को आम माफी दी गई। तारीख में इससे अनोखा वाकया कहीं नहीं मिलता। खून का एक कतरा भी नहीं गिरा और फतह अजीम हासिल हो गई। मक्का की फतह अरब से मुशरिकीन के मुकम्मल खात्मे की शुरुआत साबित हुई। मक्का की फतह के बाद पैगंबरे इस्लाम ने वहां के लोगों से शिर्क न करने, जिना न करने, चोरी न करने की शर्त पर बैअत ली और उन्हें अपने-अपने बुतों को तोड़ने का हुक्म दिया। पैगंबरे इस्लाम ने किसी पर जुल्म नहीं किया। सबको अमान दे दिया।
मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर में कारी अफजल बरकाती ने कहा कि फतह मक्का के बाद मक्का शरीफ को दारुल अमन यानी शांति का घर घोषित किया गया और यह सब पैग़ंबरे इस्लाम के हाथों किया गया जिन्हें पूरे संसार के लिए रहमत बनाकर भेजा गया है। फतह मक्का विश्व इतिहास की बड़ी ही अद्भुत घटना है। दुनिया ने देखा कि आपने सबको माफ कर एक अनोखी मिसाल पेश की। पैगंबरे इस्लाम के इस फैसले से लोग दीन-ए-इस्लाम के दामन से जुड़ते चले गए। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई।
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