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मालिके निसाब पर सदका-ए-फित्र वाजिब है - उलमा किराम

सैय्यद फरहान अहमद

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

 तंजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्प लाइन नंबरों पर सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा, एतिकाफ, शबे आदि आदि के बारे में सवाल किए। 

1. सवाल : जो शख़्स किसी वजह से रोज़ा न रख सका वो भी सदका-ए-फित्र देगा? (तौसीफ, रहमतनगर)

जवाब : जी हां, कि सदका-ए-फित्र वाजिब होने के लिए रोज़ा रखना ज़रूरी नहीं। (मुफ्ती मो. अजहर)

2. सवाल : तरावीह की रकअतों में कमी करना मसलन दस या आठ रकअत पढ़ना कैसा? (नवेद आलम, खोखर टोला)

जवाब : तरावीह की नमाज़ बीस रकअत है। नमाजे तरावीह की रकअतों में कमी करना नाजायज ओ हराम और शरीअत पर ज्यादती है जो शख़्स ऐसा करे सख्त गुनाहगार और अज़ाबे दोजख का सज़ावार है। (मुफ्ती अख़्तर हुसैन)

3. सवाल : तरावीह की नमाज़ छोड़ना कैसा? (गुलाम मोहम्मद, इलाहीबाग)

जवाब: नमाज़े तरावीह का पढ़ना हर आकिल व बालिग मर्द और औरत पर सुन्नते मुअक्कदा है बिला वजह इसे छोड़ना जायज़ नहीं। (मुफ्ती मेराज अहमद)

4. सवाल : क्या ग़रीबों को माले जकात बता कर देना लाज़िम है? (मो. नाजिम, छोटे क़ाज़ीपुर)

जवाब: नहीं। यह लाज़िम नहीं की ग़रीब को जकात कह कर ही दिया जाए बल्कि किसी भी मुनासिब नाम से जकात ग़रीब को दे सकते हैं ताकि ग़रीब की इज़्ज़ते नफ्स (सेल्फ रिस्पेक्ट) को ठेस न पहुंचे। (कारी मो. अनस)

5. सवाल : सदका-ए-फित्र किस पर वाजिब है? (गुलाम मोहम्मद, इलाहीबाग)

जवाब: हर मालिके निसाब पर अपने और अपनी नाबालिग औलाद की तरफ से सदका-ए-फित्र देना वाजिब है। (मौलाना जहांगीर)

6. सवाल : रोजे की हालत में केमिकल वाली मिसवाक करना कैसा? (अमन, बसंतपुर)

जवाब : अगर केमिकल वाली मिसवाक का मज़ा (टेस्ट) मुंह में महसूस न हो तो जायज है, और अगर इसका मजा महसूस होता हो तो रोज़े की हालत में ऐसी मिसवाक करने से बचना चाहिए। (मौलाना मोहम्मद अहमद)

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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