सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
शिद्दत की धूप के बीच माह-ए-रमज़ान में रोजा अल्लाह की इबादत में बीता। मस्जिद व घरों में इबादतों का दौर जारी है। नमाज व कुरआन-ए-पाक की तिलावत हो रही है। मुल्क में अमनो अमान के लिए दुआ मांगी जा रही है। शबे कद्र की चौथी पाक रात में खूब इबादत व दुआ की गई। गुरुवार 20 अप्रैल को शबे कद्र की आखिरी ताक रात है। मस्जिदों में एतिकाफ जारी है। हर तरफ नूरानी समा है। बुजुर्ग, बच्चे व नौजवान इबादत में तल्लीन हैं।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम मौलाना महमूद रज़ा कादरी ने बताया कि पैग़ंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि ईद तो दरअसल उन खुशनसीब मुसलमानों के लिए है जिन्होंने मुकद्दस रमज़ान को रोजा, नमाज और दीगर इबादतों में गुजारा। तो यह ईद उनके लिए अल्लाह की तरफ से मजदूरी मिलने का दिन है। ईद की नमाज से पहले सदका-ए-फित्र अदा कर देना चाहिए। कसरत से सदका व खैरात करें।
दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद मस्जिद नार्मल के इमाम मुफ्ती मुनव्वर रजा ने बताया कि जरूरतमंद लोगों की ईद को खुशगवार बनाने के लिए मुसलमानों को सदका-ए-फित्र देने का हुक्म दिया गया है। यह उन्हीं लोगों को दिया जा सकता है जो जकात के हकदार हैं यानी गरीब, मजलूम और मिस्कीन मुसलमान। ईद की नमाज पढ़ने से पहले अनाज या पैसे की शक्ल में इसे निकाल दिया जाए।
सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार के इमाम हाफिज रहमत अली निज़ामी ने बताया कि हदीस में है कि जब ईद-उल-फित्र की मुबारक रात तशरीफ लाती है तो इसे लैलतुल जाइजा यानी ईनाम की रात के नाम से पुकारा जाता है। ईदैन की रात यानी शबे ईद-उल-फित्र और शबे ईद-उल-अज़हा में सवाब के लिए खूब इबादत करनी चाहिए।
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