सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
तंजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्पलाइन नंबरों पर सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। उलमा किराम ने क़ुरआन ओ हदीस की रोशनी में जवाब दिया।
1. सवाल : सिक्योरिटी डिपॉजिट में रखी रकम पर जकात का क्या हुक्म है? (गुलाम मोहम्मद, इलाहीबाग)
जवाब : सिक्योरिटी डिपॉजिट में रखी रकम पर भी जकात फर्ज है। (मुफ्ती अख्तर हुसैन)
2. सवाल : शरीअत की नज़र में मुसाफिर कौन है और मुसाफिर किस वक्त से नमाज कस्र शुरू करे? (मनोव्वर अहमद, तुर्कमानपुर)
जवाब : शरीअत में मुसाफिर वह शख्स है जो तीन रोज की राह पर जाने के इरादा से बस्ती (अपने रहने के स्थान) से बाहर हुआ। खुश्की में तीन दिन की राह की मिकदार तकरीबन 92 किलोमीटर है। जब बस्ती की आबादी से बाहर हो जाए तो उस वक्त से नमाज में कस्र शुरू करे। जबकि (मुफ्ती मो. अजहर)
3. सवाल : रोजे की हालत में टूथपेस्ट करना कैसा? (आफताब, सूर्यविहार)
जवाब : रोजे की हालत में टूथपेस्ट करना मकरूह है, अगर उसका कोई जुज़ हलक में चला जाए तो रोजा टूट जाएगा। (कारी मो. अनस)
4. सवाल : क्या जकात रमज़ान में ही निकाली जा सकती है? (मोहसिन, खोखर टोला)
जवाब : जकात का ताल्लुक रमज़ान से नहीं बल्कि जकात की अदाएगी बकद्रे निसाब माल पर साल पूरा होने पर फ़र्ज़ हो जाती है। हां, अगर साल रमज़ान के बाद पूरा होता हो तो साल पूरा होने से पहले रमजान ही में दे दे तो इसमें सवाब ज़्यादा है। (मौलाना जहांगीर अहमद)
5. सवाल : भूल कर कुछ खा लिया तो रोजा टूटेगा या नहीं? (शहनवाज अहमद, मियां बाज़ार)
जवाब: नहीं। रोजा याद न होने की सूरत में भूल कर खाने से रोज़ा नहीं टूटता। हां याद आने पर फौरन रुक जाएं बल्कि मुंह में मौजूद लुकमा भी निकाल दें। (मुफ्ती मेराज)
6. सवाल : क्या औरत रोज़े की हालत में खाना चख सकती है? (शगुफ्ता, तुर्कमानपुर)
जवाब : अगर किसी औरत का शौहर जालिम या गुस्से वाला है कि खाने में कमीबेशी की सूरत में जुल्म करेगा तो ऐसी औरत रोज़े की हालत में खाना चख सकती हैं, लेकिन एहतियात लाज़िम होगा कि कोई हिस्सा हलक में न जाए। (मौलाना मोहम्मद अहमद)
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