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मदरसा हुसैनिया में हज यात्रियों ने एक साथ पढ़ा 'लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक'

-तहरीक दावते इस्लामी इंडिया की ओर से हज प्रशिक्षण।

सैय्यद फरहान अहमद

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

दीवान बाजार स्थित मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार में शनिवार को तहरीक दावते इस्लामी इंडिया की ओर से हज प्रशिक्षण का आयोजन हुआ। पूरा मदरसा हुसैनिया ‘लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक’ से गूंज उठा। मक्का व मदीना शरीफ में इबादत, जियारत व ठहरने का तरीका, हज के फराइज, हज के पांच अहम दिन व हज का अमली तरीका बताया गया। शहर और देहात से आए सैकड़ों लोगों ने हज के अरकान की बारीकियां सीखीं। हज ट्रेनिंग पर आधारित थ्रीडी एनिमेशन फिल्म व एलईडी स्क्रीन के द्वारा हज का तरीका और हज के मुकद्दस मकामात को दिखाकर हज यात्रियों को प्रशिक्षित किया गया। हज यात्रियों को घर से रवाना होने से लेकर लौटकर आने तक के सारे मसलों और उनके हल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गई। प्रशिक्षण में महिलाओं ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। महिलाओं के मसलों पर भी विस्तृत चर्चा हुई।

प्रशिक्षक हाजी मो. आज़म अत्तारी ने बताया कि हज में सात चीजों की अदायगी पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है। जो हज के फर्ज कहलाते हैं। हज के सात फर्ज हैं पहला "एहराम" (हज का खास लिबास), दूसरा "नियत", तीसरा "वुकूफ-ए-अरफात" (मैदान-ए-अरफात में ठहरना), चौथा "तवाफ-ए- जियारत" (काबा शरीफ का सात चक्कर), पांचवां "तरतीब"(सभी अरकान क्रमवार अदा करना), छठां "मुकर्रर वक्त", सातवां "निश्चित जगह"। इसमें से अगर कोई अदा करने से रह गया तो हज अदा न होगा। हज बेहद अहम इबादत है। इसमें सबसे अहम खुलूस है। हज-ए-मबरूर अल्लाह की रज़ा के लिए है। पैगंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि हज-ए-मबरूर करने वाला ऐसा होता है मानो आज ही मां के पेट से पैदा हुआ हो। उसके सभी गुनाह माफ हो जाते हैं। हज दीन-ए-इस्लाम का अहम फरीजा है। इसे खुलूस दिल से अदा करना चाहिए। 

उन्होंने प्रैक्टिकल के जरिए हज अदा करने के एक-एक अरकान को बारीकी से बताया। साथ ही कुर्बानी से लेकर सिर मुंडाने तक के मसाइल बताए। मुकद्दस मकामात पर पढ़ी जाने वाली दुआओं पर भी रोशनी डाली। रौजा-ए-रसूल हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर सलातो-सलाम पेश करने का तरीका व अदब बताया। दीन-ए-इस्लाम के पहले खलीफा हज़रत अबू बक्र रदियल्लाहु अन्हु व दूसरे खलीफा हजरत उमर रदियल्लाहु अन्हु की आरामगाह पर सलाम पेश करने का तरीका भी बताया साथ ही मस्जिद-ए-नबवी व जन्नतुल बकी कब्रिस्तान की अहमियत बताई।

हज यात्रियों को 'रफीकुल हरमैन' किताब मुफ्त बांटी गई। कुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात-ए-रसूल पेश की गई। अंत मेे सलातो-सलाम पढ़कर कौमो मिल्लत व मुल्क में अमन व सलामती की दुआ मांगी गई।

प्रशिक्षण में मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन, मो. फरहान अत्तारी, वसीउल्लाह अत्तारी, हाफिज नज़रे आलम कादरी, रमज़ान अत्तारी, मो. शहजाद अत्तारी, महताब अत्तारी, मो. कैफ, अरशद आदि मौजूद रहे।

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Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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