बरेली, उत्तर प्रदेश।
जकात बेदारी मुहिम ऑर्गनाइजेशन की ओर से "जकात जमा करने और बांटने में पारदर्शिता" टाॅपिक पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिस में मजहबे इस्लाम के एक अहम फर्ज जकात की अदायगी और उसके वितरण में पारदर्शिता और बेदारी लाने पर जोर दिया गया,इस संबंध में दरगाहेआलाहजरत स्थित मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम के वरिष्ठ शिक्षक हजरत अल्लामा कारी अब्दुर्रहमान खान कादरी,हज़रत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद सलीम बरेलवी साहब और हज़रत अल्लामा मोहम्मद अख्तर रजवी साहब से ऑर्गनाइजेशन ने जकात से संबंधित विषेश टाॅपिक देकर वक्तव्य कराए,अल्लामा कारी अब्दुर्रहमान खान साहब ने कहा कि चुकि जकात निकालने का उद्देश्य इस्लाम ने यह रखा है कि जिन पर यह निकालना फर्ज है वह जिम्मेदारी के साथ जकात पुरी पुरी निकालने के साथ उसे उन लोगों तक जिम्मेदारी के साथ पहुंचाए कि जिन को जकात देने का इस्लाम ने हुक्म दिया है इस के साथ यह ख्याल रखें कि यह जकात गलत हाथों में ना चली जाए कि इस से आपकी जकात की अदायगी खतरे में ना पड जाए।हजरत मुफ्ती मोहम्मद सलीम साहब ने अपने निबंध और वक्तव्य मे इस बात पर जोर दिया कि आजकल जकात जमा करने के लिए कुछ लोगो ने कुछ समुह और संगठन बना रखे है उन्हे हरगिज अपनी जकात ना दें कि इस से जकात अदा नही हो सकती जब तक यह जकात के पात्र लोगो की मिलकियत ना पहुंच जाए,फिर इन संगठनो का कोई भरोसा नही कि यह किन कामों में जकात का धन लगाएं,कही आपकी जकात के धन का यह संगठन गलत उपयोग ना कर लें,इस के साथ यह भी करना जरूरी है कि आप इस जकात के धन से अपने करीबी रिश्तेदार और बे रोजगार नौजवानों को इकठ्ठी रकम देकर उनको रोजगार के अवसर दें जिस से मुस्लिम समाज की गरीबी दुर होने के साथ देश से बेरोजगारी कम करने में मदद मिलेगी ,आम तौर गली मोहल्लों मे घुमने और नशा करने वाले पेशावर भिकारियो को भीक के तौर पर जकात देने से बचे,इस्लाम का उद्देश्य तो जकात से यह था कि मुस्लिम समुदाय से फकीरी और गरीबी दुर हो,इस लिए इस में पारदर्शिता लाने बहुत जरुरी है,यही इस कार्यक्रम का भी उद्देश्य है।हजरत अल्लामा अख्तर साहब ने अपनी तकरीर में जकात की अहमियत और इस के आला मकसद पर रौशनी डालते हुए अपनी जकात को बर्बाद होने से बचाने पर जोर दिया और इस से गरीबी दुर करने के उचित प्रयास करने और गैर मोतबर संगठनों और समुहों को देने से बचने पर जोर दिया।
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