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हर सहाबी ए नबी जन्नती जन्नत।

पैग़म-ए-शहीदे आज़म कॉन्फ्रेंस कि दूसरी महफ़िल मंगलवार को आयोजित हुई।

हफ़ीज अहमद खान

कानपुर नगर उत्तर प्रदेश।

हर साल की तरह इस साल भी कमेटी मुस्लिम वेल्फेयर एसोसिएशन के ज़ेरे एहतेमाम शहर के मोहल्ला तिलक नगर स्थित पीर वाली मस्जिद का मैदान बरकाती ग्राउंड में 48 वां सालाना 10 रोज़ा रूह परवर दीनी तब्लीगी इजलास पैग़ामे शहीद ए आज़म का एहतेमाम किया गया है जिसकी मंगलवार को दूसरी महफिल मुनक्कित हुई। प्रोग्राम का आग़ाज़ तिलावत ए कुरान रब्बानी से अल्हाज हाफिज़ फज़ले अज़ीम रहमानी और संचालन मोहम्मद तालिब बेग़ बरकाती ने किया। उरई के अशरफ बेग बरकाती ने नात व मन्क़बत पढ़ी जिसे सुनकर अकीदतमंद झूम उठे और "नारे तक़बीर अल्लाहु अकबर नारे रिसालत या रसूलल्लाह नारे हैदरी या अली नारे हुसैनी या हुसैन" के गगनभेदी नारे लगाये।इसके बाद कानपुर से तशरीफ़ लाए मौलाना मुश्ताक अहमद मुशाहिदी ने खिताब फरमाया और इस्लाम के पहले खलीफा हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रदी. की ज़िंदगी पर रोशनी डाली और बताया कि हुज़ूर ने हज़रत आयशा से फरमाया की आसमान में जितने तारे हैं उतनी नेकिया हज़रत उमर की हैं और हज़रत अबू बक्र सिद्दीक की एक नेकी उन सभी नेकीयों पर भारी है। उसके बाद मेहमाने खुससी की हैसियत से गोन्डा से आए मौलाना मुज़क्किर हुसैन बरकाती ने खिताब फरमाया और इस्लाम के तीसरे खलीफा हज़रत उस्मान गनी रदी. की हयाते मुबारक में रोशनी डालते हुए कहा किसी भी नबी की दो शहज़ादी किसी एक के साथ निकाह में नहीं है यह मर्तबा सिर्फ हज़रत उस्मान गनी का है कि जिनके निकाह मे हुज़ूर की दो साहबज़ादियां हैं इसलिए उन्हें ज़ुन्नुरैन कहा जाता है। शारिक बेग बरकाती ने आए हुए सभी अकीदतमदों का शुक्रिया अदा किया। 

मुख्य रूप से सैय्यद इस्राफील बरकाती, वासिक बेग, अब्दुल वहाब, अब्दुल रज़्ज़ाक़, कामिल बेग, मकसूद, आकिल बेग, इरशाद निज़ामी, आसिफ बेग, तौसीफ, वामिक बेग, रिज़वान सिद्दीकी, दानिश, तारिक, ज़िया, रूमान, अनवारुल, हम्माद, अज़हर, ज़मीर अहमद , अनवर गौरी आदि लोग मौजूद रहे।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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