-पैगाम-ए-शहीदे आजम कॉन्फ्रेंस में उमड़ा जनसैलाब,अकीदतमंदो ने लगाए नारे।
हफ़ीज अहमद खान
कानपुर नगर उत्तर प्रदेश।
मुस्लिम वैलफेयर एसोसिएशन की ओर से मोहल्ला तिलक नगर के बरकाती ग्राउंड में 48 वां दस दिवसीय प्रोग्राम की चौथी महफ़िल में गुरुवार की रात पैगाम-ए-शहीद-ए-आज़म कॉन्फ्रेंस का आगाज पीरे तरीकत शहज़ादा ए अमीने मिल्लत सैय्यद अमान मियां की सदारत में हाफिज़ फज़ले अज़ीम ने तिलावते कुरान से किया।कॉन्फ्रेंस में मुफ़्ती जुनैद मिस्बाही ने कहा कि आज के इस दौर में किरदारे इमाम हुसैन को समझने और उनके पैगाम को हर तरफ फैलाने की ज़रूरत है। इमाम हुसैन ने कर्बला में अपनी ईमानी ताकत और शहादत से लोगों को बता दिया कि आतंकवाद व जुल्म से कभी डरना नहीं चाहिए।कहा कि इमाम हुसैन की तालीमात को बताने की ज़रूरत है। उनके पैगाम और सीरत से ही दुनिया में अमन कायम हो सकता है। इसके पहले मद्दाहे रसूल मो. आबिद ने पढ़ा कि रहेंगे हश्र तक बाकी बहात्तर कर्बला वाले, यजीदी मिट गए लेकिन है घर घर क़र्बला वाले। इसके बाद मेहमाने खुसुसी की हैसियत से आए अलीगढ़ के अल बरकात इस्लामिक रिसर्च एंड ट्रेंनिंग इंस्टीट्यूट से मुफ्ती जुनैद मिस्बाही ने तकरीर की और आज के हालात में अपनी ईमान की हिफाज़त कैसे करें इस मौज़ू पर इस्लाही ब्यान किया इसके बाद मौलाना मुश्ताक अहमद मुशाहिदी ने मोहम्मद साहब की दुख्तर, खातूने जन्नत हज़रत अली की शरीक-ए-हयात हज़रत फातिमा ज़हरा की शहादत ब्यां करके उनकी अज़मत और पाकीज़ा किरदार पर रोशनी डाली, और कहा कि हज़रत फातिमा दुनिया की तमाम ख्वातीन के लिए एक रोशनी के मीनार की हैसियत रखती है। हज़रत फातिमा ने बेटी की हैसियत से अपने बाप हज़रत मोहम्मद साहब और अपने शौहर हज़रत अली की मिसाली खिदमत की और मां की हैसियत से अपनी आगोश में ऐसे मिसाली बच्चों हज़रत हसन और हज़रत हुसैन को परवान चढ़ाया। जिनकी कुर्बानी को दुनिया कयामत तक याद करती रहेगी।
उन्होंने महिलाओ से हज़रत फातिमा के किरदार को अपनाकर अपनी जिंदगी गुज़ारने की बात कहीं। इस मौके पर सदर शारिक बेग, वहाब, अब्दुल रज्जाक , सैय्यद इसराफिल, वामिक बेग, तालिब बेग आदि लोग मौजूद रहे।
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