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मुफस्सिर-ए-आज़म,रेहान-ए मिल्लत की दिन में और मुफ्ती-ए आज़म हिंद के कुल शरीफ की रस्म देर रात अदा की गई।

दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां सभी मुलाकात करने वाले जायरीन को दुआओं से नवाज़ रहे।

*देश-विदेश के ज़ायरीन दिन-रात गुलपोशी कर दरगाह पर हाज़िरी दे रहे।

बरेली, उत्तर प्रदेश।

तीन रोज़ा उर्स-ए-रज़वी के दूसरे दिन आज उर्स स्थल इस्लामिया मैदान में विभिन्न कार्यक्रम दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) की सदारत और सय्यद आसिफ मियां व राशिद अली खां की देखरेख हुए। आगाज़ रज़ा मस्जिद में कुरानख्वानी से हुआ। इसके बाद इस्लामिया मैदान में कारी ज़ईम रज़ा ने तिलावत-ए-कुरान से किया। इसके बाद सुबह हज़रत रेहाने मिल्लत के कुल शरीफ की रस्म सुबह 9 बजकर 58 मिनट पर अदा की गई। रात में हज़रत मुफस्सिर ए आज़म और देर रात 1 बजकर 40 मिनट पर मुफ्ती आजम हिंद के कुल शरीफ़ की रस्म अदा की गई। 

    इस दौरान दुनियाभर से आए उलेमा ने अपनी तकरीर में आला हज़रत व खानदान के बुजुर्गों पर रौशनी डाली। मधुबनी बिहार से तशरीफ लाए मौलाना साबिर क़ादरी ने अपनी तकरीर में कहा कि रेहान ए मिल्लत ने पूरी दुनिया में मज़हब व मसलक का प्रचार प्रसार किया। आज इस्लामिया मैदान में जो उर्स हो रहा है ये भी हज़रत रेहान-ए-मिल्लत ही की देन है। दुनिया में कही भी रहो मसलक-ए-आला हज़रत पर सख्ती से कायम रहो। कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी ने अपने खिताब में आला हज़रत,मुफ्ती ए आजम हिंद और खानकाह ए रज़विया का पैगाम जायरीन के देते हुए कहा कि गुस्ताखे रसूल से हमेशा परवेज़ करे। हमारा उनसे कल भी न कोई रिश्ता था और न आज है। यही सुन्नियत और यही मसलक-ए-आला हज़रत है। अपनी पहचान कायम रखते हुए इस्लामी लिबास में नज़र आए। नमाज़ी बने और इल्म हासिल करे। इल्म हासिल करने की कोई उम्र नही होती है। अपने बच्चो को आशिक-ए-रसूल बनाए। मदरसा मंजर-ए-इस्लाम के अध्यापक मास्टर कमाल ने अपनी तकरीर इंग्लिश में करते हुए कहा कि आज मदरसे के छात्र हर क्षेत्र में अपने इल्म का लोहा मनवा रहे है। मदरसे के छात्र मुफ्ती,कारी,आलिम के साथ डॉक्टर और इंजिनियर भी बन रहे है। मंजर-ए-इस्लाम के छात्र भी दुनिया भर में इल्म की शमा रौशन कर रहे है। 

मौलाना मुख्तार बहेड़वी ने कहा कि मज़हब-ए-इस्लाम अपने मानने वालों को यह तालीम देता कि जिस मुल्क में रहो उस मुल्क में अपनी मज़हबी पहचान कायम रखते हुए अच्छे शहरी बने। मुल्क और मुल्क की संपत्ति और उसको धरोहर से मोहब्बत करे। नफरतों को हराने के लिए मुहब्बत को आम करे। आपसी सौहार्द का वातावरण बनाएं। मुफ्ती सलीम नूरी ने भी मुफ्ती-ए-आज़म की बारगाह में खिराज़ पेश किया। मौलाना वारिस रज़ा सुल्तानपुरी,कारी महबूब रज़ा व अर्सलान रज़ा ने नात-ओ-मनकबत का नज़राना पेश किया। संचालन कारी यूसुफ रज़ा संभली ने किया। हजरत रेहान ए मिल्लत के कुल शरीफ में कारी सखावत हुसैन,मुफ्ती ज़ईम रज़ा ने फातिहा पढ़ी। मुफ्ती जमील नूरी ने शिजरा और खुसूसी दुआ मुफ्ती आकिल रज़वी ने की। देर रात एक बजकर चालीस मिनट पर मुफ्ती ए आजम हिंद के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। मुफ्ती जमील ने आला हज़रत का शजरा फातिहा मुफ्ती अय्यूब नूरी ने खुसूसी दुआ सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां व मुफ्ती आकिल रजवी ने मज़हब और मुल्क की खुशहाली के लिए की। ज़ायरीन दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां और सज्जादानशीन मुफ्ती मियां से मुलाकात कर दुआए हासिल कर रहे है। और जो लोग अभी तक मुरीद नही हुए है उनको मुरीद भी कर रहे है। 

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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