पैगंबर मुहम्मद साहब के न्याय व शांति के सिद्धांतों को अपनाने का किया आह्वान
फिलिस्तीन के भारत में राजदूत डॉ. अदनान अबू
अल-हिजा ने मिलादुन्नबी के महत्व पर दिया जोर
बग्गी में सवार रहे मुफ्ती-ए-शहर, उलेमाओं ने दिया शांति का सदेश
वसीम अकरम कुरैशी
जयपुर, राजस्थान
ईद मिलादुन्नबी के मौके पर प्रदेशभर में अनेक आयोजन हुए। इसी के साथ जुलूस निकाला गया। जिसमें बड़ी संख्या में अकीदतमंद शामिल हुए। राजधानी जयपुर में वाहिद मेमोरियल रिलीफ सोसायटी व सेंट्रल मिलाद कमेटी की ओर से निकाला गया जुलूस घाटगेट से बग्गी में सवार मुफ्ती अब्दुस्सत्तार रजवी साहब के नेतृत्व में शुरू होकर चार दरवाजा मौलाना जियाउद्दीन साहब सर्किल पहुंचा, जहां सैयद मोहम्मद कादरी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पैगंबर मुहम्मद साहब की शिक्षाओं का सच्चे तरीके से पालन करने की आवश्यकता है। साथ ही पैगंबर मुहम्मद साहब की शिक्षाओं का वास्तविक पालन करने की अपील की। उन्होंने उपस्थित लोगों को पैगंबर के करुणा, न्याय और शांति के सिद्धांतों को अपने दैनिक जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित किया।
वहीं मुख्य अतिथि फिलिस्तीन के भारत में राजदूत डॉ. आदनान अबू अल-हिजा ने मिलादुन्नबी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने पैगंबर मुहम्मद साहब की करुणा, न्याय और शांति की विरासत पर अपना संबोधन केंद्रित रखा और बताया कि कैसे उनकी शिक्षाएं लाखों लोगों को प्रेरित करती रहती हैं। उन्होंने मिलादुन्नबी के महत्व और पैगंबर के संदेश का सामंजस्य और समझ को बढ़ावा देने में निरंतर प्रासंगिकता पर गहरी जानकारी प्रदान की। मुफ्ती गुलाम मुस्तफा नज्मी ने इस भाषण का अरबी से हिंदी में अनुवाद किया। जुलूस करबला में जाकर सभा में परिवर्तित हुआ। जहां विभिन्न उलेमाओं और इस्लामी स्कॉलर्स ने व्याख्यान दिए।
वहीं जुलूस में शामिल प्रतिभागियों ने प्रार्थनाएं कीं और पैगंबर के जीवन की कहानियां साझा कीं, उनके प्रेम और एकता के संदेश का जश्न मनाया।
जुलूस में कई उलेमा और नात ख्वां भी शामिल हुए, जिन्होंने भाषण दिए और अंत में नात शरीफ की तिलावत की। जुलूस के अध्यक्ष व आयोजकों ने पुलिसकर्मियों को उनके सहयोग और सुरक्षा के लिए धन्यवाद दिया।
दो हजार कार्यकर्ताओं ने संभाली कमान
दो हजार से अधिक स्वयंसेवकों ने आयोजन को सुचारु रूप से संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने उपस्थित लोगों की सहायता की, सार्वजनिक परिवहन को प्रबंधित किया। साथ ही कानून और व्यवस्था बनाए रखने में योगदान दिया।
पैगंबर ने दिया दया, न्याय और सामंजस्य पर जोर
कार्यक्रम संयोजक सैयद मोहम्मद कादरी ने कहा कि मिलादुन्नबी, जिसे मावलिद अल-नबी भी कहा जाता है, पैगंबर मुहम्मद के 570 ईसवी में मक्का में जन्म की स्मृति है। यह दिन मुसलमानों को विश्वभर में पैगंबर के जीवन और शिक्षाओं पर विचार करने का अवसर प्रदान करता है, जो सभी लोगों के बीच दया, न्याय और सामंजस्य पर जोर देती है।
इनकी रही विशेष उपस्थिति
जुलूस में मौलाना मुदस्सर अशरफी, मुफ्ती जलीस अहमद, मौलाना निसार निजामी, मौलाना एहतराम आलम, मौलाना जाहिद हुसैन नूरी, मौलाना वली मोहम्मद, मौलाना गुलाम मोइनुद्दीन, मौलाना अब्दुल कदीर, मौलाना राशिद मिस्बाही, मौलाना अंजार, मुफ्ती गुफरान मिस्बाही व तमाम अहले सुन्नत वल जमात के आइम्मा हजरात व सेंट्रल मिलाद कमेटी के मेम्बर हाजी हसीन खान, हाजी हामिद बैग, उवैस खान, हाजी नायाब खान, हाजी रियाज की विशेष उपस्थित रही।
© Copyright All rights reserved by India Khabar 2025