देश मे आपसी सौहार्द को बढ़ावा देने का काम करते है बुजुर्गों के उर्स।
बरेली, उत्तर प्रदेश।
उर्स-ए-हामिदी के आज दूसरे दिन हुज्जातुल इस्लाम मुफ़्ती हामिद रज़ा खान साहब (हामिद मियां) के कुल शरीफ की रस्म मुल्क भर से आये हज़ारों अकीदतमंदों की मौजूदगी में अदा की गयी। दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मिया) की सदारत व सय्यद आसिफ मियां की देखरेख में देश के नामवर उलेमा की तक़रीर हुई। मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम का दीक्षांत समारोह (दस्तारबंदी) मनाया गया। फारिग सभी 193 तलबा (छात्रों) को हज़रत सुब्हानी मियां व मुफ़्ती अहसन मियां के हाथों डिग्रियां सौपकर दस्तारबंदी की गई। देर रात तक जश्न जारी था।
दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि आज का आगाज़ बाद नमाज़-ए-फ़ज़्र कुरानख्वानी से हुआ। दिन में नात मनकबत का दौर जारी रहा। शाम को शायर ए इस्लाम महशर बरेलवी,फ़ारूक़ मदनपुरी,हाजी गुलाम सुब्हानी व आसिम नूरी ने नाते पाक का नज़राना पेश किया। मुख्य कार्यक्रम बाद नमाज़-ए-ईशा 9 बजे मदरसे के सदर मुफ़्ती आकिल रज़वी,वरिष्ठ मुफ़्ती मुफ़्ती सलीम नूरी बरेलवी,मुफ़्ती अफ़रोज़ आलम,मुफ़्ती अय्यूब,खान,मुफ़्ती मोइनुद्दीन,मुफ़्ती सय्यद कफील हाशमी,कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी,मौलाना अख्तर हुसैन,मौलाना डॉक्टर एजाज़ अंजुम,मुफ़्ती जमील,मुफ़्ती अनवर अली,मौलाना सलीम रज़ा बदायूंनी की मौजूदगी में देश भर से आये नामवर उलेमा की तक़रीर का आगाज़ मुफ्ती ज़ईम रज़ा मंजरी ने कुरान की तिलावत से किया। *वरिष्ठ मुफ़्ती सलीम नूरी बरेलवी ने खिताब करते हुए सभी फारिग तलबा(स्टूडेंट)से कहा कि वह अपने मज़हब के साथ अपने मुल्क से मोहब्बत करने की तालीम को देश भर में आम करने का काम करें। आज हमारे मुल्क के बाशिंदे जिस कट्टरवाद और नफरतों का सामना कर रहे है उसके खात्मे के लिए अल्लाह वालों के उर्स अहम भूमिका अदा करते है। उर्स ए हामिदी के मौके मरकज ए अहले सुन्नत का पैगाम यही है कि देश भर की खानकाहों के सज्जादगान कट्टरवाद के खात्मे और आपसी सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए आगे आए।* मुफ़्ती आकिल रज़वी ने अपने खिताब में कहा कि हुज्जातुल इस्लाम अरबी फन के अंदर अदब में इस कदर माहिर थे कि अरब के बड़े-बड़े उलेमा कहते थे कि हिन्द के जितने उलेमा अरबी के जानकार है उनमें हमने मुफ्ती हामिद रज़ा से बढ़कर न देखा। मुफ़्ती अय्यूब खान ने खिराज़ पेश करते हुए कहा कि हुज्जातुल इस्लाम ने अपनी पूरी ज़िंदगी इल्मी खिदमात,फतावा नवेशी में गुजारी। साथ ही आप बहुत बड़े शायर भी थे। अल्लामा मुख्तार बहेडवी ने कहा कि आला हज़रत फरमाते थे कि मैं हामिद से हूँ और हामिद मुझसे। *रात 10 बजकर 35 मिनट पर मुफ़्ती हज़रत हामिद मियां के 84 वे कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। मुल्क व मिल्लत की खुशहाली के लिए ख़ुसूसी दुआ सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने की। कल रात हुए तहरीरी,तक़रीरी व शेरी मुकाबले में विजेताओं को इनाम दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां के हाथों तक़सीम (वितरित) किये गए। मुफ्ती सलीम नूरी ने कामयाब तलबा के नामो की घोषणा की। नेपाल के तल्बा(स्टूडेंट) मौलाना अरशद रज़ा को इंग्लिश में बेहतरीन तकरीर करने पर पहला इनाम से नवाजा गया। मदरसे के 8 तल्बा द्वारा लिखी गई किताबो का विमोचन भी दरगाह प्रमुख के हाथो किया गया। इसके बाद दीक्षांत समारोह का जश्न शुरू हुआ। 24 मुफ़्ती,74 कारी,04 हाफिज व 74 आलिम को डिग्री सौपी गयी। निज़ामत (संचालन) कारी यूसुफ रज़ा संभली ने की।*
उर्स की व्यवस्था में मुख्य रूप से रज़ाकार राशिद अली खान,शाहिद नूरी,अजमल नूरी,परवेज़ नूरी,हाजी जावेद खान,औररंगज़ेब नूरी,ताहिर अल्वी,मंज़ूर रज़ा,काशिफ रज़ा,आलेनबी,गौहर खान,हाजी शारिक नूरी,मुजाहिद बेग,अश्मीर रज़ा,इशरत नूरी,ज़ोहेब रज़ा,तारिक सईद,शान रज़ा,सबलू अल्वी,अब्दुल माजिद,सय्यद एजाज़,सय्यद माजिद,इरशाद रज़ा,अरबाज़ रज़ा,साजिद नूरी,नईम नूरी,साकिब रज़ा,समी खान,अजमल रज़ा,मोहसिन रज़ा,सुहैल रज़ा,साद रज़ा,नफीस खान,शारिक बरकाती,हाजी अब्बास नूरी,काशिफ सुब्हानी आदि ने संभाली।
© Copyright All rights reserved by India Khabar 2025