गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
रहमतनगर के समाजसेवी मो. आसिम अहमद ने बताया कि रोजा अल्लाह का अदब भी है और फज्ल की तलब भी है। अल्लाह महान है इसलिए उस अजीम से डरना दरअसल मोहब्बत करना ही है, इसलिए एक रोजेदार जब रोजा रखता है तो उसके दिल में खौफे खुदा होता है, जो उसे रोजे के अहकाम और अदब से बांधता है। बाकी बचे रोजे में खूब इबादत कर अल्लाह को राजी करें। सदका, जकात व फित्रा की रकम हकदारों तक जल्द पहुंचा दें ताकि वह रमजान व ईद की खुशियों में शामिल हो सकें। अल्लाह ने हर अमल का दुनिया में ही बदला बता दिया कि किस अमल पर क्या मिलेगा मगर रोज़ा के बारे में इरशाद फरमाया कि मैं खुद ही इसका बदला दूंगा या फरमाया कि मैं खुद ही रोजा का बदला (जज़ा) हूं।
© Copyright All rights reserved by India Khabar 2025