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इमाम हुसैन ने दुनिया को दिया सब्र व इंसानियत का पैगाम।

जमुनहिया बाग में लगी पोस्टर प्रदर्शनी 'हमारे हैं हुसैन'

गौसे आजम फाउंडेशन ने पिलाया शरबत व पानी।

भारत समाचार एजेंसी

सैय्यद फरहान अहमद

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

पहली मुहर्रम से शुरु हुआ जिक्रे शुहदाए कर्बला की महफिलों का दौर तीसरी मुहर्रम को भी जारी रहा। ‘शुहदाए-कर्बला’ का जिक्र सुन सबकी आंखें नम रहीं। शहर की एक दर्जन से ज्यादा मस्जिदों व घरों में कर्बला की दास्तान सुनी और सुनाई जा रही है। गोरखनाथ, रहमतनगर, तुर्कमानपुर आदि मोहल्ले के युवा रोजा रख कर अल्लाह की इबादत कर रहे हैं। गौसे आजम फाउंडेशन से जुड़े युवाओं ने मियां बाजार में इमाम हुसैन की याद में सैकड़ों राहगीरों को ठंडा शरबत व पानी पिलाकर नेकी कमाई। जिसमें जिलाध्यक्ष समीर अली, मौलाना महमूद रजा कादरी, मो. फैज, मो. जैद कादरी, नूर मुहम्मद दानिश, रियाज अहमद, अहसन खान, सैयद शहाबुद्दीन, अरीब खान आदि ने हिस्सा लिया। 

फिरदौस जामा मस्जिद जमुनहिया बाग, गोरखनाथ के बाहर अल कलम एसोसिएशन, जामिया अल इस्लाह एकेडमी व मकतब इस्लामियात की ओर से तीसरी मुहर्रम को पोस्टर प्रदर्शनी 'हमारे हैं हुसैन' लगाई गई। प्रदर्शनी के जरिए लोगों को इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु व शुहदाए कर्बला की जिंदगी व उनके मिशन के बारे में बताया गया। कारी मुहम्मद अनस रजवी ने अवाम को बताया कि शुहदाए कर्बला ने दुनिया को सब्र व इंसानियत का एक अजीम पैगाम दिया है। जिसे रहती दुनिया तक नहीं भुलाया जा सकता। कर्बला की जंग दुनिया की पहली आतंकी कार्रवाई थी। जिसमें शहीद हुए लोगों में छह माह के बच्चे से लेकर 78 साल के बुर्जुग शामिल थे। इमाम हुसैन शहीद तो हो गए लेकिन दुनिया वालों को बता गए की दीन-ए-इस्लाम सब्र व शहादत से फैला। इसके लिए कुर्बानियां दी गईं। इमाम हुसैन की जिंदगी पर आधारित पर्चा भी बांटा गया। अंत में अकीदतमंदों को शरबत पिलाया गया। प्रदर्शनी में हाजी लजीज अहमद, अब्दुल बशर, रमजान अली, मुहम्मद साजिद, मज़हर अली, इम्तियाज़ अहमद, मुहम्मद शरीफ, जावेद सिद्दीकी, हाजी रईस अहमद, नासिर अली, सलीस अहमद, राशिद अली, हाजी शौकत अहमद, मौलाना अनवर अहमद, नाजिम अली, कारी अरमान, हस्सान, वसी अहमद, शकील अहमद आदि लोग मौजूद रहे।

तीसरी मुहर्रम‌ को रसूलपुर जामा मस्जिद में मौलाना जहांगीर अहमद ने कहा कि मुसलमानों पर हजरत अली, हजरत फातिमा, हजरत हसन व हजरत हुसैन से मुहब्बत करना वाजिब है। हम हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानी को नहीं भूल सकते। पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने नवासे इमाम हुसैन की पैदाइश के साथ ही आपके शहादत की खबर दे दी थी। हजरत अली, हजरत फातिमा जहरा, हजरत हसन और खुद इमाम हुसैन भी जानते थे कि एक दिन कर्बला के मकाम पर शहीद किया जाऊंगा, लेकिन किसी ने भी और खुद हजरत इमाम हुसैन ने भी कभी किसी किस्म का शिकवा जुबान पर नहीं लाया, बल्कि सब्र के साथ अपनी शहादत की खबर सुनते रहे।

गौसिया मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मुहम्मद अहमद ने कहा कि हदीस में है कि पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मुझे हज़रत जिब्राइल ने खबर दी कि इमाम हुसैन को तफ (कर्बला) में शहीद किया जाएगा। हजरत जिब्राइल मेरे पास वहां की मिट्टी लाए और मुझसे बताया कि यह हुसैन के शहादत गाह की मिट्टी है। तफ करीबे कूफा उस स्थान का नाम है जिसको कर्बला कहते हैं। हदीस में आया है कि वह मिट्टी उम्मुल मोमिनीन हजरत उम्मे सलमा के पास मौजूद रही। वह फरमाती हैं कि मैंने उस सुर्ख मिट्टी को एक शीशी में रख दिया जो हजरत इमाम हुसैन की शहादत के दिन खून हो गई। इसी तरह अन्य मस्जिदों व घरों में ‘जिक्रे शुहदाए कर्बला महफिल हुई। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन व अमान और भाईचारे की दुआ मांगी गई।


Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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