Tranding

भीमा कोरे गाँव "शौर्य दिवस" सफलतापूर्वक सम्पन्न-इ. कोमल सिंह दोहरे।

हफ़ीज अहमद खान

कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश।

बामसेफ के द्वारा आयोजित भीमा कोरेगाँव शौर्य दिवस समारोह मनाया गया। जिसमे इ कोमल सिंह दोहरे बामसेफ प्रदेश अध्यक्ष  के द्वारा बताया गया कि 11 मार्च सन 1689 को पेशवाओं ने हमारे शम्भाजी महाराज को खत्म कर उनके शरीर के अनगिनत टुकड़े कर तुलापुर नदी में फेंक दिया था और कहा था कि जो भी इनको हाथ लगायेगा उसका क़त्ल कर दिया जायेगा। काफी समय तक कोई भी आगे नहीं आया पर एक महार जाति के एक पहलवान ने हिम्मत दिखाई और आगे आया जिसका नाम गणपत पहलवान था , वह शम्भाजी महाराज के सारे शरीर के हिस्सों को इकठ्ठा करके अपने घर लाया और उसकी सिलाई करके मुखाअग्नि दी ।शम्भाजी  महाराज की समाधी आज भी उसी महारवाडे इलाके में स्थित है ये सूचना मिलते ही पेशवाओं ने गणपत महार पहलवान का सर कलम कर दिया और समुची महार जाति को दिन में गाँव से बाहर निकलने पर पाबन्दी लगा दी और कमर पे झाड़ू और गले में मटका डालने का फरमान लागू कर दिया था और पूरे पुणे शहर में यह खबर फैला दी कि गणपत महार पहलवान देवतुल्य हो गया है इसलिए वो भगवान की भेट चढ़ गया। शम्भाजी महाराज की मृत्यु के बाद महार जाति के लोगों पर खूब अत्याचार इन पेशवाओं (सनातनी ब्रह्मणों ) द्वारा किये जाने लगे थे। महार जाति शुरू से ही मार्शल जाति (सेना में लड़ने वाली ) थी , पर पेशवाओं ने अब इन लोगों पर मार्शल लॉ (सेना में लड़ने पर रोक ) लगा दिया था।वो दिन था 01 जनवरी 1818 इसलिए ये दिन "शौर्य दिवस" नाम से जाना जाता है। जहाँ स्वयं बाबा साहेब डॉ.भीमराव आंबेडकर जी हर साल  1 जनवरी को उन महान वीर सपूतो को नमन करने  जाते थे। उसी इतिहास को बामसेफ ने पुन: जिंदा किया है। इसलिए इस साल भी कानपुर मे ये कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इस मौके पर धनी राम पैथंर  तथा भीम आर्मी के रवि राज, भीम योद्धा के प्रशांत गौतम तथा भारतीय बौद्ध महासभा के साथ-साथ तमाम अम्बेडकर वादी संगठन के लोगो ने भाग लिया। और पुष्पांजलि अर्पित की।

Karunakar Ram Tripathi
56

Leave a comment

Most Read

Advertisement

Newsletter

Subscribe to get our latest News
Follow Us
Flickr Photos

© Copyright All rights reserved by India Khabar 2025