सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मो. नदीम ने बताया कि रमज़ान में हर आदमी अपनी रूह को पवित्र करने के साथ अपनी दुनियादारी की हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ वश में रखते हुए केवल अल्लाह की इबादत में समर्पित हो जाता है। अमूमन साल में ग्यारह महीने तक इंसान दुनियादारी के झंझावतों में फंसा रहता है लिहाजा अल्लाह ने रमज़ान का महीना आदर्श जीवनशैली के लिए तय किया है। शाहनवाज अहमद ने कहा कि रोजे रखने का असल मकसद महज भूख-प्यास पर नियंत्रण रखना नहीं है बल्कि रोजे की रूह दरअसल आत्म संयम, नियंत्रण, अल्लाह के प्रति अकीदत और सही राह पर चलने के संकल्प और उस पर मुस्तैदी से अमल में बसती है।
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