सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
रोजेदार बंदों ने माह-ए-रमजान का चौथा रोज़ा रखकर अल्लाह के हुक्म को पूरा किया। मस्जिद व घरों में रौनक है। चारों तरफ कुरआन-ए-पाक पढ़ा जा रहा है। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम व उनकी आल पर दरूदो सलाम का नज़राना पेश किया जा रहा है। मस्जिदों में बच्चे, नौजवान व बुजुर्ग नमाज़ अदा कर रहे हैं। वहीं घरों में औरतें इबादत, तिलावत के साथ खुद रोज़ा रखकर सहरी-इफ्तारी व खाना भी पका रही है और बाजार से खरीदारी भी कर रही है। दर्जियों की दुकानों पर लोग ईद का कपड़ा सिलवाने पहुंच रहे हैं। बाजार गुलज़ार है। सेवई, खजूर, टोपी, इस्लामी किताब, तस्बीह, इत्र की मांग बढ़ गई है। रमज़ान की सुबह-शाम नूरानी है। इफ्तार के समय का नज़ारा तो बहुत ही प्यारा है, जब एक दस्तरख्वान पर अमीर-गरीब एक होकर अल्लाह की हम्द बयां कर रोज़ा खोल रहे हैं। तरावीह की नमाज़ में भीड़ उमड़ रही है। तरावीह की नमाज़ में कहीं दस तो कहीं पंद्रह पारे मुकम्मल हो चुके हैं। रहमत के अशरे में चंद दिन गुजर चुके हैं। रहमत के अशरे के बाद मग़फिरत का अशरा शुरू होगा। रमज़ानुल मुबारक का हर पल हर लम्हा कीमती है।
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