गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
महफिल का संचालन करते हुए मकतब की छात्रा शिफा खातून ने कहा कि रमजान के महीने में अल्लाह की रहमत रूपी बारिश इंसान को पाक-साफ कर देती है। रमजान के पाक महीने में अल्लाह अपने बंदों पर खूब रहमतों की बारिश करता है। रमजान में 30 दिन तक इस बात की मश्क (अभ्यास) कराई जाती है कि जो काम तुम्हारे लिए जायज है, उसके लिए भी तुम खुद को रोक लो। तब इंसान यह महसूस करने लगता है कि जब मैं हलाल कमाई से हासिल किया गया खाना और पानी इस्तेमाल करने से खुद को रोक सकता हूं तो गलत काम करने से क्यों नहीं रोक सकता हूं। इंसान अक्सर यह सोचता है कि वह चाहकर भी खुद को गुनाह करने से रोक नहीं पाता, मगर यह उसकी गलतफहमी है। रमजान उसे इसका एहसास कराता है।
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