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नमाजे तरावीह औरतों के लिए भी लाजिम है - उलमा ए कराम

सैय्यद फरहान अहमद

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

रमजान हेल्पलाइन नंबर 9454674201 पर सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए।

1. सवाल : क्या नमाजे तरावीह औरतों के लिए भी लाजिम है? 

जवाब : जी हां। नमाजे तरावीह औरतों के लिए भी सुन्नते मुअक्कदा (लाजिम) है। 

2. सवाल : रोजे की हालत में वुजू करते समय पानी हलक से नीचे उतर जाए तो? 

जवाब : अगर रोजादार होना याद था और ये गलती हुई तो रोजा टूट जाएगा। 

3. सवाल : जकात की रकम किस्तों में दे सकते हैं? 

जवाब : साल पूरा होने के बाद बिला उज्र ताखीर करना मकरूह है। हां अगर कोई शदीद मजबूरी हो कि रकम इकठ्ठी नहीं दे सकता तो किस्तों में भी देने से अदा हो जाएगी।

4. सवाल : क्या गरीबों पर भी सदका-ए-फित्र निकालना वाजिब है? 

जवाब : नहीं। सदका-ए-फित्र सिर्फ मालिके निसाब पर वाजिब है गरीबों पर सदका-ए-फित्र देना वाजिब नहीं। हां अगर दे दें तो सवाब पाएंगे।

5. सवाल : क्या कर्ज दी गई रकम पर जकात है?

जवाब : जी, जकात फर्ज़ है। 

6. सवाल : एडवांस रखी गई रकम पर जकात वाजिब है या नहीं?

जवाब : बाज़ मामलात में एडवांस रकम वापस नहीं होती ऐसी सूरत में उन पर जकात वाजिब नहीं, और बाज़ मामलात में रकम वापस हो जाती है ऐसी सूरत में उन पर जकात वाजिब है।

7. सवाल : क्या नमाजे तरावीह में देखकर क़ुरआन पढ़ सकते हैं? 

जवाब : नहीं इस तरह पढ़ने से नमाज नहीं होगी। 

8. सवाल : रोजे की हालत में आंसू अगर मुंह में चला जाए तो? 

जवाब: अगर आंसू की बूंद सिर्फ मुंह में गई थी कि थूक दिया तो रोजा नहीं टूटेगा और अगर हलक में उतर गई तो रोजा टूट जाएगा।

9. सवाल : नमाज़े इशा से पहले तरावीह पढ़ना कैसा? 

जवाब : इशा की फर्ज़ नमाज पढ़ने के बाद ही तरावीह का वक्त होता है बगैर फर्ज़-ए-इशा पढ़े तरावीह पढ़ना दुरुस्त नहीं अगर किसी शख़्स की नमाजे इशा छूट गई हो तो पहले इशा की फर्ज़ नमाज पढ़ ले फिर तरावीह में शरीक हो और आखिर में तरावीह की जो रकातें छूटी हों उन्हें खुद से पढ़ कर बीस रकातें पूरा कर ले। 

10. सवाल : क्या एनीमा लगवाने से रोजा टूट जाता है? 

जवाब : हां। एनीमा लगवाने से रोजा टूट जाता है। 

11. सवाल : क्या रोजे की हालत में आंखों में लेंस लगवा सकते हैं? 

जवाब : हां लगवा सकते हैं इससे रोजे पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

12. सवाल : अगर पूरे मोहल्ले से कोई भी एतिकाफ में नहीं बैठा तो क्या सब गुनहगार होंगे?

जवाब : हां। एतिकाफ करना सुन्नत अलल किफाया है अगर पूरे मोहल्ले से कोई भी एतिकाफ में नहीं बैठा तो सब गुनहगार होंगे। 

13. सवाल : क्या दौराने एतिकाफ मोबाइल का इस्तेमाल किया जा सकता है? 

जवाब : हां, जरूरत की बिना पर इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन मस्जिद के आदाब और दूसरे नमाजियों के हुकूक का ख्याल रखते हुए। 

14. सवाल : क्या सगी खाला (मां की बहन) को जकात दे सकते हैं?

जवाब : अगर खाला जकात की मुस्तहिक है तो उन्हें जकात दे सकते हैं।

15. सवाल : क्या बेवा (विधवा) औरत ईद पर नए कपड़े पहन सकती है?

जवाब : इद्दत के दिन गुजारने के बाद ईद पर नए कपड़े भी पहन सकती हैं और हर तरह की जायज खुशी में भी शरीक हो सकती हैं इसमें कोई हर्ज नहीं है। 

16. सवाल : रोजे की हालत में शुगर टेस्ट करा सकते हैं?

जवाब : जी करा सकते हैं। 

17. सवाल : रोजे की हालत में कॉटन इयर बड्स से कान साफ कर सकते हैं? 

जवाब : जी कर सकते हैं। इसमें कोई हर्ज नहीं। 

18. सवाल : इमामे तरावीह को देने के लिए लिए गए चंदे को मस्जिद ही के किसी और काम में इस्तेमाल कर सकते हैं? 

जवाब : नहीं। चंदा जिस काम के लिए लिया गया है उसी में इस्तेमाल करेंगे बगैर देने वालों की इजाजत के किसी दूसरे काम में इस्तेमाल करना जायज नहीं।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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