गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
दरोगा साहब मस्जिद अफगान हाता के इमाम कारी फिरोज आलम कादरी ने कहा कि रमजान में प्रत्येक इंसान हर तरह की बुराइयों व गुनाहों से खुद को बचाता है। रमजान की रातों में एक रात शबे कद्र कहलाती है। यह रात बड़ी खैर व बरकत वाली है। क़ुरआन में इसे हजारों महीनों से अफजल बताया गया है। यह वह पाक रात है, जिसमें हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम फरिश्तों की एक बड़ी जमात लेकर जमीन पर तशरीफ लाते हैं। अल्लाह के हुक्म से पूरी दुनिया का चक्कर लगाते हैं। इबादत में रात गुजारने वालों के लिए दुआएं करते हैं और मुबारकबादी पेश करते हैं। पूरी रात चारों तरफ सलामती ही सलामती रहती है। फज्र का वक्त होते-होते यह नूरी काफिला वापस चला जाता है। रमज़ान के आखिरी अशरा की 21, 23, 25, 27 व 29वीं रातों को शबे कद्र की रात बताया गया है।
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