आपने मुल्क से मुहब्बत व वफादारी हमारी मजहबी व संवैधानिक जिम्मेदारानी - मुफ्ती सलीम नूरी
बरेली, उत्तर प्रदेश।
देश में इस समय जो हालात हैं उन्हे लेकर मरकजे अहल-ए-सुन्नत दरगाह आला हजरत स्थित जामिआ रज़विया मंजरे इस्लाम के उलमा और मुफ्ती ए इकराम की एक खुसूसी बैठक हुई। इस संबंध में दरगाह आला हजरत से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि मदरसा मंजरे इस्लाम के उलेमा ने बैठक के बाद अपने संयुक्त ब्यान में दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियॉ) और सज्जादानशीन हज़रत मुफ्ती अहसन मियॉ का पैगाम के हवाले से बताया कि पिछले कुछ समय से भारत व पाकिस्तान के बीच जंग के हालात हैं जो आम हालात से भिन्न होते हैं। जंग के माहौल में बहुत कुछ बदल जाता है। जिस मुल्क के आप नागरिक हैं अगर उस मुल्क पर किसी दूसरे देश ने हमला किया है या उस से जंग के हालात बन जाएँ तो इन तमाम हालात में वह" दुश्मन देश" की श्रेणी में आता है और ऐसे समय मे उस दुश्मन देश की हिमायत करना उस की तारीफ करना उसकी बातों और उस के पैगाम का आदान प्रदान करना या एक दूसरे को भेजना यह सब जंगी जुर्म के दायरे में आता है जिस से संबन्धित कानून की बहुत सी संगीन धाराएं हैं कि जिनके तहत ऐसे शख्स के खिलाफ मुकदमे दर्ज होते हैं। ये लोग खुद तो कानूनी जाल में फंसते ही है साथ ही अपने परिवार वालों के लिए मुश्किल खड़ी करते है। इसलिए हमारी मुस्लिम नौजवानों से अपील है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल इस समय बहुत खतरनाक है और अपने आप को हलाकत व परेशानी में डालना है। इस वक्त सोशल मीडिया पर कुछ भी शेयर करने से परहेज करें या फिर कोई चीज शेयर भी करें तो खूब अच्छी तरह देख लें कि उस में कोई गैर कानूनी बात तो नही या देश के दुश्मन मुल्क की उस में हिमायत या तारीफ तो नही।
मुफ्ती मोहम्मद सलीम बरेलवी ने कहा कि मुल्क से मुहब्बत व वफादारी हमारी मज़हबी और संवैधानिक जिम्मेदारी है। इस समय वैसे भी मजहब, शरीयत,इस्लामी पोस्ट और ईमानी बातों के नाम पर बहुत सारे पाकिस्तानी मौलवी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से गुमराही और फितने फैला रहे हैं। यह लोग कभी हमारे मुकददस सहाबा के ताल्लुक से अवाम के जहन में बदगुमानियाॅ पैदा करते हैं तो कभी अहले बैत,अल्लाह के वलियों,सुफियाए किराम और दरगाहों की शान में गुस्ताखियां करते हैं। इसी तरह बहुत सारे आजाद ख्याल पाकिस्तानी मौलवी हमारे मुस्लिम नौजवानों को ऐसी रस्मों और एसी आदतों का आदी बना रहे हैं कि जो आला हज़रत, हुज्जातुल इस्लाम, मुफ्ती ए आज़मे हिन्द,जीलानी मियॉ, रेहाने मिल्लत,ताजुश्शरीआ और हमारे दीगर बुजुर्गो के फतवे के खिलाफ हैं। इसलिए हमारी अपने भारतीय मुस्लिम नौजवानों से अपील है कि इस तरह के पाकिस्तानी मौलवियों की पोस्टों,वीडियो,आडियो और लेखों इस्लामी सामग्री से धोखा ना खाएं और हरगिज-हरगिज इस तरह के इन पाकिस्तानी मौलवियों की पोस्ट को ना खुद पढें और ना ही दूसरे लोगों को शेयर करें। क्योकि यह मज़हब व मसलक के भी खिलाफ है और देश व संविधान के भी विरुद्ध है।
मुफ्ती जमील खान ने कहा कि बहुत सारे नौजवान कम पढे लिखे या अनपढ़ होने की वजह से यह समझ ही नही पाते कि जो पोस्ट उन तक आई है वह मसलक के खिलाफ है या देश व संविधान के विरुद्ध है। बस वह उसका इस्लामी नाम या मजहबी थरमिनल देख कर धोका खा जाते हैं और अंजाने में शेयर कर देते है। मौलाना अख्तर ने कहा कि इस वक्त सोशल मीडिया का इस्तेमाल ना समझ नौजवानों के लिए ऐसा ही है जैसे किसी छोटे बच्चे के हाथ में पिस्तौल या खतरनाक हथियार दे देना कि वह बच्चा उस हथियार से या तो अपने को नुकसान पहुंचा देगा या किसी दूसरे को।
बैठक में मुफ्ती मोहम्मद मोईन,मुफ्ती मुजीब आलम,मौलाना कलीमुरहमान आदि लोग मौजूद रहे।
© Copyright All rights reserved by India Khabar 2025