शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया, बिहार
इन दिनों जिला के निजी स्कूल के वर्ग 8 के छात्रों का जिला के सरकारी स्कूलों में वर्ग 9 में नामांकन कराना बालू से तेल निकालना जैसा है। सरकारी स्कूलों के नवम वर्ग में नामांकन करने हेतु निजी विद्यालयों के द्वारा निर्गत टीसी को BEO के बाद DEO से काउंटरसाइन कराना पड़ रहा है,जो बहुत ही टेढ़ी खीर है,जबकि दूसरे जिले में इसके लिए कोई आवश्यकता नहीं है,निजी विद्यालय से पास वर्ग 8 के छात्रों का सरकारी विद्यालयों में नवी वर्ग में नामांकन नहीं होने से छात्र-छात्रा,उनके माता-पिता अभिभावक दर् दर की ठोकर खा रहे हैं।
इस जिले में ऐसा कोई आदेश निर्गत नहीं किया गया है कि निजी विद्यालय के द्वारा निर्गत टी सी को जिला शिक्षा पदाधिकारी से काउंटरसाइन कराने की आवश्यकता नहीं है। एक ही राज्य में कई जिलों में विभिन्न प्रकार काआदेश का निर्गत होना शिक्षा व्यवस्था की बदहाली को दर्शाता है,दूसरी जरूरी बात यह है कि निजी विद्यालय के प्रधानाध्यापक, नामांकनपंजी देने को तैयार नहीं है,जिसके कारण सरकारी विद्यालय के नवी वर्ग में छात्र/छात्राओं का नामांकन नहीं हो पा रहा है, इसे विडंबना ही कहा जा सकता है। निजी विद्यालय के द्वारा निर्गत टी सी को पहले BEO से उसके बाद DEO से काउंटरसाइन करना पड़ रहा है,इसके लिए नामांकनपंजी की मांग की जा रही है,ऐसा करने में हफ्तों दिन का समय लग जा रहा है,कार्यालय का चक्कर काटते काटते माता,पिता,अभिभावक का चप्पल घिस जा रहा है।
जिला का शिक्षा विभाग कान में तेल डालकर सोया हुआ है, इस तरह यह जिला शिक्षा के प्रति संवेदनशील नहीं है।
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