शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया, बिहार।
850 करोड़ की लागत से बने बिटिया जीएमसी की बदहाली उजागर हो रही है,जहां पोस्टमार्टम हाउस के पास गंदगी काअंबार देखने को मिल रहा है,शौचालय का पानी परिसर में बह रहा है, जिससे रोगियों और उनके आनेजाने काफी कठिनाइयों हो रही है,यह नित्यप्रतिदिन का सिलसिला है,अस्पताल प्रशासन मुकदर्शक बना हुआ है,सफाई के नाम पर मात्र दिखावा है। इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल की जमीनी हकीकत चौंकाने वाली है एक और जहां सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बड़े-बड़े जावेद करती हैं वहीं दूसरी और इस अत्याधुनिक अस्पताल में मूड भी स्वच्छता का गुण अभाव देखने को मिल रहा है। अस्पताल परिसर की एक तस्वीर सामने आई है जिसमें पोस्टमार्टम हाउस के मुख्य द्वार से बाहर कचरा का अंबार लगा हुआ है,गंदा पानी बहता रहता है, जानकारी के अनुसार यह गंदा पानी अस्पताल परिसर में स्थित शौचालय की टंकी से निकल रहा है जो सीधा पोस्टमार्टम हाउस के बाहर जमा हो रहा है इससे वहां आने जाने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
समाचार संकलन के क्रम में, संवाददाता को स्थानीय लोगों ने बताया कि इस जगह पर अक्सर सूअर,अन्य जानवर नजर आते हैं,जो संक्रमण और बीमारियों को बढ़ावा देते हैं,स्थानीय लोगों ने दुख जताया किअस्पताल प्रशासन देखकर भीअंधा बना हुआ है, उसके कान पर जू तक नहीं रेंगता है।प्रतिदिन इस अस्पताल में हजारों की संख्या में लोगों का आवागमन होता है, इसअस्पताल में गंदगी और बदबू से रोगी और उनके परिजन त्रस्त हैं। कॉलेज नहीं होता है थे इतनी भारी रखो की लागत से बनेअस्पताल में ऐसी अवस्था क्यों? क्या निर्माण कार्य में गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार ने इस हालत को जन्म दिया है।अस्पताल प्रशासन की चुप्पीऔर लापरवाही परअब सवाल उठने लगे हैं,स्थानीय लोगों की मांग है कि इस गंभीर समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जाए ताकि मरीजों और आम जनता को सुरक्षित एवं स्वच्छ माहौल मिल सके।
इतना ही नहीं इसअस्पताल की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि रोगी उनके परिजनों को रजिस्ट्रेशन कराने हेतु भी घंटा लग जाते हैं,दवा काउंटर भी बंद रहता है,मजबूरी में दवा बाहर से खरीदना पड़ रहा है,अस्पताल के सभी वार्ड के खुलने और बंद होने का कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है।
सफाई व्यवस्था बिल्कुल चरमरा गई है।स्थानीय सांसद, विधायक,विधान पार्षद भी किसी दिन 1घंटे के लिए भी जाकर इसका निरीक्षण नहीं करते हैं,जिससे डॉक्टर,नर्स, अस्पताल के कर्मी,गार्ड सभी का मनोबल बढ़ा हुआ है।
डॉक्टर अपनी ड्यूटी को भी पूरा नहीं करते हैं,समय पर उपस्थित नहीं रहते हैं,रोगी की स्थिति चिंताजानक होने पर ही डॉक्टरअस्पताल मेंआते हैं।
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