शिविर में कई अधिकारी व कर्मी रहते हैं अनुपस्थिति।
विकास शिविर आयोजन के पूर्व स्थानीय ग्रामीणों की कोई सूचना नहीं।
रिपोर्ट:विनोद विरोधी
गया, बिहार।
राज्य सरकार की ओर से सूबे के महादलित टोलें अथवा कस्बों में विकास शिविर लगाकर उनकी समस्याओं से अवगत होने तथा उन्हें निष्पादन करने की योजना पर पानी फिर रहा हैं। अनुसूचित जाति के गांव में विकास शिविर के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है। इस कार्य के संपादन में प्रखंड स्तरीय एक वरीय अधिकारी समेत तमाम विभागों के कर्मियों को लगाया गया है ।इसमें विकास मित्र, टोला सेवक, से लेकर बाल विकास परियोजना के स्थानीय कर्मी, पंचायत रोजगार सेवक, राजस्व कर्मचारी, आवास सहायक,किसान सलाहकार, एएनएम,स्वच्छता पर्यवेक्षक, कार्यपालक सहायक, विद्यालय के प्रधानाध्यापक ,आशा,ममता, पंचायत तकनीकी सहायक आदि को उपस्थित होना हैं। जिले के बाराचट्टी प्रखंड के विभिन्न पंचायत में सूदूरवर्ती गांव में प्रत्येक शनिवार एवं बुधवार को विकास शिविर का रोस्टर भी तैयार किया गया है तथा उक्त कर्मियों को जिम्मेदारी भी सौंप गई हैं, जहां उन्हें विकास शिविर के माध्यम से ग्रामीण पक्की सड़क, हर घर नल जल योजना,राशन कार्ड, उज्ज्वला योजना ,जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र,शौचालय ,आवास व पेंशन से संबंधित समस्याओं का सुनवाई एवं निपटारा करना हैं। किंतु बिडंवना है कि इन टोलों में विकास शिविर की खाना पूर्ति की जा रही हैं। महज 10 से 20 लोगों की उपस्थिति में नाम मात्र के कर्मी व अधिकारी पहुंच रहे है। इस संवाददाता ने आज जब जिले के बाराचट्टी के छोटकी चांपी, दरबार,भीमचक,नई अहरी,गोही खजुराईन,कारी चट्टान (झाझ) पंचायत आदि विकास शिविर का जायजा लिया तो वहां नाम मात्र के 5 से 7 विभागों के कर्मी मौजूद रहे।वहीं स्थानीय ग्रामीणों को कोई पूर्व सूचना के कारण उनकी उपस्थिति नाममात्र की रही। कई स्थानों पर तो स्थानीय लोगों ने विकास शिविर से अभिज्ञता भी जाहिर की है ।
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