शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया, बिहार
जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ,मानवेंद्र मिश्रा के कोर्ट नेअपने एक एकआदेश केअंतर्गत,दो पुलिसअधिकारीऔर एक चिकित्सक पर गैर जमानती वारंट निर्गत किया है,इसके साथ ही तीनों को गिरफ्तारकर
10 जून को बगहा कोर्ट में पेश करने काआदेश दिया है।
इसआदेश के अंतर्गत, सीतामढ़ी में कार्यरत, डीएसपी,अतनु दत्ता,जो पूर्व में इस जिला में कार्यरत थे, पुलिस पदाधिकारी,अमरेश कुमार सिंह,पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक,डॉक्टर ए के तिवारी,बगहाअनुमंडल अस्पताल को कोर्ट में हाजिर करने काआदेश दिया गया है। इन तीनों पर पूर्व में ही गैर जमानती वारंट निर्गत किया गया था। इसको लेकर बगहा एसपी को कोर्ट नेआदेश दिया है किअपने स्तर से एनबीडब्लू वारंट का तमिला कराना सुनिश्चित कराएं,साथ ही 10 जून 2025 को गिरफ्तार कर तीनों को कोर्ट में साक्षय देने हेतु प्रस्तुत करें। विदित हो कि डॉ एके तिवारी वर्तमान में भी बगहा अनुमंडलीयअस्पताल में पदस्थापित है,जिन पर पिछले 3 साल से गैर जमानती वारंट निर्गत है।इधर कोर्ट ने मामले की सुनवाई करने के बाद टिप्पणी करते हुए कहा है कि 12 जनवरी 2016 के बाद से अर्थात 9 साल सेअभियोजन के द्वारा हत्या के इस वाद में,कांड का अनुसंधान करने वाले दो अनुसंधानकर्ता,और पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक(सभी सरकारी साक्षी)का साक्ष्य प्रस्तुत नहीं हो सका है।दूसरी और हाई कोर्ट ने स्पीडी विचारण प्रभारी केअभियोजन पदाधिकारी को पुराने वादों को दिन प्रतिदिन
विचरण कर प्राथमिकता के तौर पर निस्तारित करने का आदेश दिया है।10 जून को कोर्ट में हाजिर करने का आदेश के साथ ही घटना 9 वर्ष पूर्व गवाही नहीं देने के कारण लंबित था।
न्यायालय के द्वारा संवाददाता को पता चला है कि डेबा हत्याकांड में गवाही नहीं देने के कारण पिछले 12 साल से अभियोजन साक्ष्य में लंबित चल रहा है। पुलिस अधिकारियों के लापरवाही और कोर्ट के मामलों को समय से निपटारा नहीं कराने में उदासीनता बरतने के कारण पीड़िता14 वर्षों से न्याय कीआस में कोर्ट का चक्कर लगा रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ,मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट ने पुलिस पदाधिकारी अनुसंधानकर्ताऔर पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक पर वारंट निर्गत किया है।
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