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मुहम्मद हामिद अली की स्मृति में साहित्यिक संगोष्ठी, बैत-बाज़ी प्रतियोगिता, पुस्तक विमोचन और तमसीली मुशायरा का आयोजन किया।

सेमिनार में, साहित्य प्रेमी मुहम्मद हामिद अली की सेवाओं को याद किया गया। 

सेराज अहमद कुरैशी 

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश। 

पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रमुख साहित्यिक संस्था साजिद अली मेमोरियल कमेटी, गोरखपुर के तत्वावधान में 11 सितंबर, 2025 को मियां साहब इस्लामिया इंटर कॉलेज के सभागार में समाजसेवी, ज्ञान और साहित्य के संरक्षक और उर्दू प्रेमी मुहम्मद हामिद अली की स्मृति में एक साहित्यिक संगोष्ठी, बैत-बाज़ी प्रतियोगिता,पुस्तक विमोचन और तमसीली मुशायरा का आयोजन किया।

इस गोष्ठी की अध्यक्षता फैज़ाबाद के शायर डॉ. उर्फी फैज़ाबादी ने किया, जबकि मौलाना आज़ाद उर्दू राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. उमैर मंज़र मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। 

इस अवसर पर शहरनामा के लेखक डॉ. वेद प्रकाश पांडेय, प्रसिद्ध हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. रहमत अली, शहर के सफल व्यवसायी श्री दिलशाद, रामपुर के वरिष्ठ पत्रकार एवं दैनिक राष्ट्रीय सहारा उर्दू के पूर्व संपादक मुज़फ़्फ़रुल्लाह ख़ान, मानवाधिकार संगठन के राष्ट्रीय सचिव शाहाब अहमद और एडवोकेट सरदार दलजीत सिंह को बुके, शाल और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। संचालन का कार्य महबूब सईद "हारिस" और मुहम्मद फरुख जमाल ने संयुक्त रूप से किया।

साजिद अली मेमोरियल कमेटी के सचिव महबूब सईद "हारिस" ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि साजिद अली मेमोरियल कमेटी पिछले पाँच दशकों से उर्दू साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि आज के कार्यक्रम में एक साहित्यिक संगोष्ठी, बैत-बाज़ी प्रतियोगिता, श्री हामिद अली की पुस्तक का लोकार्पण, बैतबाज़ी प्रतियोगिता एवं बच्चों के मुशायरा का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि इन कार्यक्रमों से जहाँ एक ओर साहित्य को बढ़ावा मिलता है, वहीं उर्दू भाषा से दूर होती जा रही नई पीढ़ी को उर्दू सीखने और समझने का अवसर प्राप्त होता है। हमारा प्रयास यह भी है कि इस भाषा को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखा जाए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. उर्फी फैजाबादी ने कहा कि गोरखपुर के लोगों से उनका पुराना नाता है। उन्होंने गोरखपुर के टाउन हॉल मैदान में अपने जीवन का पहला मुशायरा पढ़ा था। उन्होंने बताया कि यहां आकर मुझे बहुत खुशी हुई, क्योंकि गोरखपुर में जिस तरह का साहित्यिक समागम हुआ है, वैसा बड़े शहरों में भी देखने को नहीं मिलता।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मौलाना आज़ाद उर्दू राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. उमैर मंज़र ने कहा कि बैअत बाज़ी प्रतियोगिता में बच्चों ने जिस तरह से कविताएँ सुनाईं, वह देखने योग्य था। उन्होंने कहा कि ऐसी प्रतियोगिताओं से बच्चों में कविता की समझ विकसित होती है। उन्होंने बताया कि मुहम्मद हामिद अली साहब ने जिस तरह साहित्य को बढ़ावा दिया है और पुस्तकों के संग्रह के लिए उनका प्रयास सराहनीय हैं, खासकर उन्होंने अपनी हवेली गुलफशां में जो पुस्तकालय स्थापित किया है, उसका ज़िक्र यहाँ से लेकर लखनऊ और दूसरे शहरों तक होता है।

सरदार दलजीत सिंह ने कहा कि हमें हमेशा प्रेम और एकता के साथ एक-दूसरे का साथ देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब में आई बाढ़ के बाद जिस तरह से पंजाब की मस्जिदों ने बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद करने का ऐलान किया, वह पूरी दुनिया के सामने है।मेवात और आसपास के क्षेत्र के मुसलमानों द्वारा दिखाई गई मानवता सांप्रदायिक तत्वों, विशेषकर नफ़रत फैलाने वालों के लिए एक बड़ा सबक है।

साजिद अली मेरिल कमेटी द्वारा आयोजित सेमिनार में क़ाज़ी तवस्सुल हुसैन, आसिफ सईद, क़ाज़ी कलीम-उल-हक़, मसरूर जमाल, अहमद जमाल बबुवा भाई, डॉ. रफीउल्लाह बेग, डॉ. दरख्शां ताजवर, डॉ. रुशदा क़ुदसिया, मुहम्मद अफराहीम, मुहम्मद अनवर ज़िया, शोएब अहमद, डॉ. मुहम्मद अशरफ , फैज़ान सरवर, एहतेशाम अफ़सर, अब्दुल बाक़ी ख़ान हासिल, डॉ. तरन्नुम हसन, मुहम्मद कामिल ख़ान,एहतेशाम सिद्दीकी, प्रवीण श्रीवास्तव के अलावा शहर के अन्य सम्मानित लेखक और बुद्धिजीवी उपस्थित थे।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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