- 207वीं जयंती पर याद किए गए सर सैयद अहमद
सेराज अहमद कुरैशी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
इस्लामिया कालेज ऑफ कामर्स के सौजन्य से गुरूवार को भारतीय समाज सुधारक लोकतांत्रिक और माननीय भावनाओं के आधार पर सामाजिक शिक्षाविद् सर सैयद के 207वें जन्मदिन पर एक कार्यक्रम का आयोजन इस्लामिया कालेज ऑफ कामर्स में किया गया इसके साथ ही समाज के विभिन्न क्षेत्रो में अपनी अलग पहचान बनाने वाले व्यक्तियों को उनके अमूल्य योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के तराना से हुई।
कार्यक्रम के दौरान गोरखपुर के 90 वर्षीय एएमयू के पुरातन छात्र शरीफ अहमद एडवोकेट को च्सर सैयद एक्सीलेन्स एवार्डज् से सम्मानित किया गया। शरीफ अहमद एडवोकेट अस्वस्थता के कारण इस एवार्ड को ग्रहण नहीं कर सके। इन्जीनियर शम्स अनवर द्वारा उनके सुपुत्र शोएब अहमद नेेे एवार्ड ग्रहण किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के पूर्व छात्र इंजीनियर शम्स अनवर ने एएमयू की स्थापना और सर सैयद के संघर्ष की याद दिलाते हुए कहा कि उनका सपना था कि वंचित वर्ग के लोग बेहतर शिक्षा प्राप्त करें और समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाए ।
कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों को स्वागत करते हुए शोएब अहमद ने कहा कि सर सैयद अहमद खां किसी एक वर्ग विशेष के रहनुमा नहीं थे बल्कि उन्होंने समाज के सभी वर्गों के लिए शिक्षा के द्वार खोले हैं। यही वजह है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पहले स्नातक ईश्वरीय प्रसाद थे। उन्होंने बताया कि सर सैयद आधुनिक शिक्षा के पैरोकार थे। इसी को लेकर उन्होंने कैब्रिज यूनिवर्सिटी के तर्ज पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना की।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए शायर कलीम कैसर ने कहा कि सर सैयद ने शिक्षा की जो लौ जलाई आज वो सम्पूर्ण विश्व में विद्यमान है। सर सैयद को आधुनिक शिक्षा का युग निर्माता कहा जाता है।
सेन्ट एण्ड्रयूज महाविद्यालय के रसायन शात्र के वरिष्ठ प्रोफेसर राशिद तनवीर ने सर सैयद को आधुनिक युग शिक्षा का शिल्पी बताते हुए कहा कि, जिस दौर में उन्होने सामान्य जन के लिए ए.एम.यू. में जो अलख जगाई वो आज तक बरकरार हैै।
आइटीएम गीडा प्रो0 सैयद खालिद हसन ने सर सैयद को याद करते हुए कहा कि जिस तरह से सर सैयद ने जिस तरह से एक बड़े उद्देश्य से भारतीय समाज में लोंगो को शिक्षित करने का कार्य किया वह अनुकरणीय है।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन विशेष तौर से 1857 की क्रांति और उससे उत्पन्न परिदृश्य को अपनी पुस्तको में अंकित करने वाली लेखिका डॉ0 दरख्शां ताजवर ने सर सैयद को याद करते हुए कहा कि वो अंग्रेजो का दौर था जब सर सैयद ने लोगो के बीच हाथ फैलाकर गुहार लगाई और विश्वविधालय की एक एक ईट रखी आज विश्वविद्यालय का स्वरुप विशाल काय है और आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में इस विश्वविद्यालय का अलग स्थान है।
कार्यक्रम के दौरान नगर के युवा शायरो और कवियों ने अपनी रचनाए प्रस्तुत की जिसमें शाकिर अली शाकिर, तबरेज़ सिददीकी, ख़ुर्रम इस्लाम खान, नदीम अहमद ने नज़मों और गज़लो से महफिल को खुशगुहार बनाया। कार्यक्रम का संचालन फर्रूख जमाल ने किया।
इस अवसर पर प्रतिभागी वक्ताओं और विशिष्ट अतिथि को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में इस्लामिया कालेज आफ कामर्स की बी. काम की छात्रा उरुबा महफूज और बीसीए की छात्रा तनिशका गुप्ता को सर सैयद एजूकेशनल अवार्ड 2024 से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में डॉ. मुमताज खान, प्रवीण श्रीवास्तव, अरशद जमाल सामानी, अकरम लारी, ज़$फर अहमद, शाहिद जमाल, अनुपमा राव, ज्योति, बी राय, रोहित कुमार श्रीवास्तव, शरजील लारी, नाजि़या, तनवीर, अतीक अहमद सहित नगर के बुद्धिजीवी और विद्यालय स्टाफ उपस्थित थे।
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