Tranding

माह-ए-शाबान का चांद नजर आया, शब-ए-बरात 7 मार्च को।

सैय्यद फरहान अहमद

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

इस्लामी माह शाबान का चांद मंगलवार को नज़र आ गया। बुधवार को माह-ए-शाबान की पहली तारीख है। उलमा किराम ने ऐलान किया कि शब-ए-बरात पर्व मंगलवार 7 मार्च को अकीदत व एहतराम के साथ मनाया जाएगा। इस्लामी कैलेंडर के माह शाबान की पन्द्रहवीं तारीख की रात को शब-ए-बरात के नाम से जाना जाता है। 

मौलाना महमूद रजा कादरी ने बताया कि माह-ए-शाबान बहुत मुबारक महीना है। यह दीन-ए-इस्लाम का आठवां महीना है। इसके बाद माह-ए-रमजान आएगा। शब-ए-बरात के मौके पर महानगर की तमाम मस्जिदों, दरगाहों, कब्रिस्तानों की साफ-सफाई व सजावट होगी।

कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने बताया कि शब-ए-बरात का अर्थ होता है छुटकारे की रात या निजात की रात। इस्लाम धर्म में इस रात को महत्वपूर्ण माना जाता है। हदीस शरीफ में है कि इस रात में साल भर के होने वाले तमाम काम बांटे जाते है जैसे कौन पैदा होगा, कौन मरेगा, किसे कितनी रोजी मिलेगी आदि। सारी चीजें इसी रात को तकसीम की जाती है। इस दिन शहर की छोटी से लेकर बड़ी मस्जिदों, घरों में लोग इबादत करते है। अल्लाह से दुआ मांगते हैं। कब्रिस्तानों में जाकर पूर्वजों की कब्रों पर फातिहा पढ़कर उनकी बख्शिश की दुआ करते हैं। वलियों की दरगाहों पर जियारत के लिए जाते हैं। गरीबों को खाना खिलाया जाता है।

मदरसा शिक्षक मोहम्मद आजम ने बताया कि इस दिन घरों में तमाम तरह का हलवा (सूजी, चने की दाल, गरी आदि) व लजीज व्यंजन पकाया जाता है। देर रात तक लोग नफिल नमाज व तिलावत-ए-कुरआन पाक कर अपना मुकद्दर संवारने की दुआ मांगते है। अगले दिन रोजा रखकर इबादत करते हैं। इस रात के ठीक पन्द्रह या चौदह दिन बाद मुकद्दस रमजान माह आता है। उन्होंने नौजवानों से आतिशबाजी, बाइक स्टंट और खुराफाती बातों से बचने का आह्वान किया हैं। उन्होंने गुजारिश की है कि जिनकी फर्ज नमाजें कज़ा (छूटी) हो उनको नफिल नमाजों की जगह फर्ज कजा नमाजें पढ़ें।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
59

Leave a comment

Most Read

Advertisement

Newsletter

Subscribe to get our latest News
Follow Us
Flickr Photos

© Copyright All rights reserved by India Khabar 2025