ब्यूरो चीफ़ हफ़ीज अहमद खान
कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश।
कुरान मजीद पैगम्बरे इस्लाम का सब से बड़ा मोअजज़ा है उस का एक एक लफ्ज़ इंसान को अल्लाह की बंदगी पर उभारता है इस वक़्त उम्मत के अक्सर मसाइल की बुनयादी वजह क़ुरान से दूरी और उसके अहकाम को फ़रामोश करना है कुरान एक कानून की किताब है उस में दुनिया और आखिरत के हर मसाइल का हल मौजूद है लिहाज़ा हमें उस की तिलावत के साथ उस के अहकाम पर अमल करने की खास ज़रुरत है | यह बयान जामिया के सरबराह मौलाना मो.हाशिम अशरफ़ी इमाम ईदगाह गद्दियाना की सदारत में मौलाना अब्दुल रहीम इमाम मोहम्मदी मस्जिद तलाक महल ने जामिया के खदीजतुल कुबरा हाल में जामिया अशरफुल मदारिस गद्दियाना में 28 फ़रवरी को आयोजित होने वाली अशरफुल अम्बिया कॉन्फ्रेंस व जलसा-ए दस्तारे फ़ज़ीलत के पहले प्रोग्राम जशने लक्मील-ए-हिफज़े कुरआन में किया उन्होंने कहा कि कुरआन अल्लाह का कलाम है हिदायत व रहमत का सरचश्मा है इस लिए कि इस की हिफाज़त की ज़िम्मेदारी अल्ल्लाह तआला ने अपने जिम्मे करम में ली है इस की हिफाज़त का अहम् जरिया हुफ्फाज़े कुरआन भी हैं जिनके सीनों में 30 पारे महफूज़ हैं | मौलाना फ़तेह मोहम्मद कादरी ने कहा जिस के सीने में कुरान नहीं वह वीरान घर की तरह है और जिस घर में कुरान की तिलावत होती है उस घर से शैतान दूर भागता है लिहाज़ा हमें चाहिए कुरान की तिलावत के ज़रिये अपने दिल और घर को कुरान की आयतों के नूर से रौशन करें और कुरान की तिलावत ज़हन व दिमाग़ को सुकून देती है हमें उसकी तिलावत की आदत डालनी चाहिए | इस से पहले महफ़िल का आगाज़ कारी मोहम्मद अहमद साहब ने तिलावत-ए कुरआन मजीद से किया | उन्होंने ने फारेगीन –ए हुफ्फाज़ को दुआए खत्म–ए कुरआन पढ़ा कर रस्म-ए तकमील-ए कुरआन अदा की और मुल्क की कामयाबी और अमन-ए आलम के लिए दुआ-ए-खैर कि गयीं छात्रों को दुआ से नवाज़ा महफ़िल का इख्तिताम सलातो सलाम पर हुआ इस मौके पर भारी तादाद में लोग मौजूद रहे ख़ास तौर से मुफ़्ती शम्सुल हुदा मिस्बाही,मौलाना महमूद हस्सान अखतर,मौलाना आबिद रज़ा मिस्बाही, मौलाना शब्बीर आलम मिस्बाही,मौलाना अहमद रज़ा बरकाती,मौलाना कलीम अहमद ,कारी आज़ाद अशरफी,हाफ़िज़ नियाज़ अशरफी,हाफिज मसऊद,हाजी सुलेमान अशरफी,अकील हसन बव्वन,हाजी हैदर अली,सुब्बा अली अशरफी आदि उपस्थित थे I
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