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मनरेगा ग्रामीण भारत की रीढ़ है जो करोड़ों लोगों को न्यूनतम आजीविका और रोजगार का अधिकार प्रदान करती है - कान्ह जी

धनंजय शर्मा

बलिया, उत्तर प्रदेश।

समाजवादी पार्टी के जिला उपाध्यक्ष/प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय 'कान्हजी' ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने की चल रही साज़िश की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह कृत्य गरीबों और ग्रामीण मजदूरों के अधिकारों पर सीधा हमला है और भाजपा सरकार की गरीब विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। गांधी के नाम से नफरत करने वाले लोग देश में गांधीवाद और गांधी के नाम को खत्म करने की साजिश कर रहे है। जिसमें वह कभी भी सफल नहीं हो सकती।

 कान्हजी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार मनरेगा का नाम बदलकर जनता के बीच महात्मा गांधी की विरासत और इस योजना की मूल भावना को खत्म करना चाहती है। यह एक राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित कदम है।

 मनरेगा ग्रामीण भारत की रीढ़ है,जो करोड़ों लोगों को न्यूनतम आजीविका और रोज़गार का अधिकार प्रदान करती है। उन्होंने कहा, "भाजपा सरकार लगातार मनरेगा के बजट में कटौती कर रही है और अब नाम बदलकर इस योजना को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, जो सीधे तौर पर गरीब विरोधी है।"

 समाजवादी पार्टी मांग करती है कि केंद्र सरकार तुरंत इस तुगलकी फैसले को रोके और मनरेगा के मूल नाम तथा ढाँचे से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न करे।

जिला प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय 'कान्हजी' ने चेतावनी दी है कि यदि भाजपा सरकार अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आई, तो समाजवादी पार्टी इस मुद्दे को लेकर जनता के द्वार जाएगी।साथ ही उन्होंने कहा कि सपा गरीबों के हक और गांधी के नाम को किसी भी कीमत पर छिनने नहीं देगी।

सुशील कुमार पाण्डेय 'कान्हजी' ने कहा: "मनरेगा सिर्फ एक योजना नहीं है, यह करोड़ों ग्रामीण परिवारों के लिए भरोसे और सम्मान की गारंटी है। भाजपा सरकार को यह समझना चाहिए कि नाम बदलने की राजनीति से पेट नहीं भरता, बल्कि गरीबों को काम और उनका हक देने से देश आगे बढ़ता है। समाजवादी पार्टी इस अन्यायपूर्ण फैसले का पुरज़ोर विरोध करती रहेगी।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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